Chandrashekhar Azad News: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने बीते कुछ समय में ही अपने तेज तर्रार अंदाज, काले चश्मे, मूंछों पर तांव और नीले गमछे वाले गेट-अप से लोगों के बीच एक अलग पहचान बनाई है. अब चंद्रशेखर की पहचान और बदल गई है. सहारनपुर जिले के छुटमलपुर गांव में जन्मे चंद्रशेखर मौजूदा वक्त में नगीना लोकसभा सीट के नए सांसद बन गए हैं. हर किसी के मन में इस बात को जानने की उत्सुकता है कि चंद्रशेखर ने नगीना लोकसभा क्षेत्र के वोटरों के बीच ऐसा क्या 'जादू' किया कि पहली बार में चुनाव लड़ने पर वह वहां से जीत गए. ऐसे में यूपी Tak ने उन पत्रकारों से खास बातचीत की है, जिन्होंने चंद्रशेखर की रणनीति और सियासत को करीब से देखा है. खबर में आगे तफ्सील से उन कारणों को जानिए जो चंदशेखर की जीत की वजह बने हैं.
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नगीना में चंद्रशेखर कैसे जीते चुनाव?
यूपी Tak ने बिजनौर के वरिष्ठ पत्रकार नरेश सैनी से खास बातचीत में यह जानना चाहा कि सहारनपुर से नगीना आकर चंद्रशेखर ने ऐसा क्या किया कि वह चुनाव जीत गए. नरेश सैनी के अनुसार, चंद्रशेखर नगीना में पिछले 3 साल से सक्रिय थे. चंद्रशेखर ने पैठ बनाने के लिए लोगों के काम करवाए. मसलन चंद्रशेखर ने थाने, तहसील से लेकर सड़क बनवाने या बिजली का खंबा लगवाने जैसे छोटे मगर जरूरी काम किए. वहीं, नरेश सैनी ने हमें यह बताया कि भाजपा उम्मीदवार ओम कुमार की सियासी स्थिति और बसपा के इस क्षेत्र में बेहद कमजोर होने की वजह से यहां मतदाताओं ने चंद्रशेखर की चुनाव किया है.
19 अप्रैल को 11 बजे के बाद क्या हुआ?
नरेश सैनी ने दावा करते हुए बताया कि नगीना के मुस्लिम वोटरों ने 19 अप्रैल को मतदान वाले दिन सुबह 11 बजे के बाद एक तरफा चंद्रशेखर के पक्ष में मतदान किया. उन्होंने बताया कि दलितों ने बसपा को दरकिनार कर इस बार चंद्रशेखर को अपना नेता चुना और खुलकर उनके पक्ष में मतदान किया. कुल मिलाकर नरेश सैनी ने इस बात पर निष्कर्ष निकाला कि दलित और मुस्लिमों के गठजोड़ ने चंद्रशेखर को इस बार नगीना का सांसद बनवाया है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दलित और मुस्लिमों के अलावा अपर कास्ट और जाट मतदाताओं ने भी चंद्रशेखर को वोट दिया है.
नगीना के मतदाताओं ने चुना विपक्ष का विकल्प
इसी मुद्दे पर हमने चंद्रशेखर की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार आस मोहम्मद कैफ से बातचीत की. उनका विश्लेषण यह है कि इस बार नगीना लोकसभा क्षेत्र के लोगों को विपक्ष का विकल्प चुनना था. और लोगों ने सपा और बसपा को नजरअंदाज करते हुए एक तरफा चंद्रशेखर को चुन लिया. आस मोहम्मद के अनुसार, भाजपा के वोटबैंक में कोई कमी नहीं आई है उसे उतना ही वोट मिला है जितना मिलता आया है. उन्होंने बताया कि इस बार यहां के करीब 7 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं ने तय कर लिया था कि उन्हें सपा को न वोट देकर चंद्रशेखर को जिताना है और ऐसा हुआ भी.
चंद्रशेखर के लिए 5 हजार कार्यकर्ताओं ने किया जमीन पर काम
वरिष्ठ पत्रकार आस मोहम्मद कैफ ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि नगीना में चंद्रशेखर के लिए इस बार 5 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया से लेकर जमीन पर मेहनत की. चंद्रशेखर और उनकी इतनी बड़ी टीम ने नुक्कड़ सभाओं से लेकर बड़ी जनसभाओं में यह बताया कि वह यहां के लिए क्यों जरूरी हैं. आखिर में आस मोहम्मद ने यही निष्कर्ष निकाला कि दलित और मुस्लिम वोटरों के गठजोड़ ने चंद्रशेखर को चुनाव में जीत दिलवाने की अहम भूमिका निभाई है.
नगीना में किसे मिले कितने वोट?
नाम | वोट |
चंद्रशेखर (आजाद समाज पार्टी) | 512552 |
ओम कुमार (भाजपा) | 361079 |
मनोज कुमार (सपा) | 102374 |
सुरेंद्र पाल सिंह (बसपा) | 13272 |
चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, नगीना में चंद्रशेखर को 512552, भाजपा के ओम कुमार को 361079 वोट, सपा के मनोज कुमार को 102374 वोट जबकि बसपा के सुरेंद्र पाल सिंह को मात्र 13272 वोट मिले और उनकी जमानत भी जब्त हो गई. यह चुनावी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर कर रहे हैं कि कभी बसपा का गढ़ रही नगीना लोकसभा सीट अब उसके हाथ से पूरी तरह से छिटक गई है. बसपा का यहां जमानत जब्त होना और चंद्रशेखर का चुनाव जीतना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि जो दलित और मुस्लिम वोटर यहां पहले बसपा की जीत का कारण बनते थे वो अब पूरी तरह से उभरते हुए नए दलित नेता चंद्रशेखर के पक्ष में चले गए हैं.
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