अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत को लेकर भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने दावा किया है, ”यह हत्या है. इसकी गंभीरता से जांच होना चाहिए.”
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प्रज्ञा सिंह ठाकुर का कहना है, ”हत्या और आत्महत्या में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. आत्महत्या के लिए उकसाना भी हत्या की ही तरह माना जाता है.”
इसके अलावा उन्होंने कहा है, ”मुझे लगता है जिस तरह पालघर में साधुओं की हत्या के बाद अध्यक्ष जी ने इसे मुखरता से उठाया था उसके बाद कल (20 सितंबर को) उनके साथ यह घटना घटित हो गई. मुझे संदेह ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि पालघर और इस घटना में कहीं कोई संबंध है.”
भोपाल सांसद का कहना है, ”यह सब विधर्मियों का काम है. गुरु और शिष्य में तर्क-वितर्क होते हैं लेकिन कभी कोई शिष्य अपने गुरु की हत्या नहीं करवा सकता इसलिए मैं बोल रही हूं कि इसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए.”
उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद योगी हैं और मुझे पूरा यकीन है कि वो आरोपियों को छोड़ेंगे नहीं. इसलिए इसकी CBI या NIA से जांच करवाएं.”
बता दें कि नरेंद्र गिरि 20 सितंबर को प्रयागराज स्थित अपने बाघंबरी गद्दी मठ में मृत मिले थे. प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, इस मामले में एक ”सुसाइड नोट” भी मिला है, जिसमें लिखा गया गया है कि नरेंद्र गिरि अपने शिष्य से दुखी थे.
इस मामले पर यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने 21 सितंबर को बताया, ”(नरेंद्र गिरि के शिष्य) आनंद गिरि के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनका नाम महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में सुसाइड नोट में भी है. जांच की जा रही है. आनंद गिरि को कल पुलिस हिरासत में लिया गया था.”
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