Twin Tower Update: नोएडा के ट्विन टावर को विस्फोट के जरिए ध्वस्त कर दिया गया है. इसके बाद यहां बने मलबे के पहाड़ को हटाना सबसे बड़ी चुनौती है, जरा सी लापरवाही, बड़े प्रदूषण की वजह बन सकती है. मलबे के इस पहाड़ को प्रदूषण मुक्त तरीके से कैसे रीसाइकल किया जाएगा, आइए जानते हैं.
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ट्विन टावर मलबे के पहाड़ में तब्दील हो चुका है. बता दें कि नोएडा के सेक्टर-80 स्थित रैम्की कंपनी द्वारा करीब 28 हजार मीट्रिक टन मलबे रीसाइकल किया जाएगा. खबर के अनुसार, टावर को गिराने से सरिया और कंक्रीट का करीब 80 हजार मीट्रिक टन मलबा मौके पर एकत्र हुआ है. लगभग 50 हजार टन मालवा ट्विन टावर के बेसमेंट को भरने के काम आएगा. सेक्टर-93ए से रीसाइक्लिंग प्लांट तक मलबा ले जाने का काम एडिफिस कंपनी करेगी.
सेक्टर-80 स्थिति रैम्की कंपनी में रीसाइक्लिंग का काम मुकेश धीमान की देखरेख में होगा. मुकेश प्लांट में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिश प्रोजेक्ट के हेड हैं. उन्होंने बताया कि मलबे को प्रदूषण मुक्त तरीके से रीसाइकल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. जरा सी लापरवाही, बड़े प्रदूषण की वजह बन सकती है.
मुकेश धीमान बताते हैं कि इस मलबे को प्रदूषण मुक्त तरीके से रीसाइकल करने में प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर पानी प्रयोग होगा, जो नोएडा प्राधिकरण के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का शोधित जल होगा. सेक्टर-93ए से जो भी डंपर मलबा लेकर आएगा, उसे सबसे पहले पानी से पूरा गीला किया जाएगा. फिर मलबे को अनलोड करते वक्त वॉटर फॉग गन का प्रयोग किया जाएगा, ताकि उसकी धूल उड़ने से प्रदूषण न हो.
बकौल मुकेश धीमान, 90 दिन तक लगातार प्रतिदिन 250 से 300 टन मलबा रीसाइकल होगा. करीब 30 फीसद रीसाइकल मलबे से प्रतिदिन 3000 इंटरलॉकिंग टाइल्स बनेंगी. इसका इस्तेमाल फुटपाथ बनाने में होगा.
मुकेश धीमान कहते हैं कि शेष 70 प्रतिशत मलबे से अन्य निर्माण सामग्री जैसे बजरी, गिट्टी, रोड़ी, प्लास्टर व ईंट चुनाई के लिए चूरा आदि बनेगा. पूरे मलबे को रीसाइकल करने पर लगभग तीन लाख इंटरलॉकिंग टाइल्स और काफी मात्रा में निर्माण सामग्री बनेगी. रीसाइक्लिंग में प्रतिदिन 40 से 50 लोग लगेंगे. रीसाइकल उत्पाद ओपन मार्केट में बेचा जाएगा, जिसे कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था खरीद सकती है.
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