Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर से जो खबर सामने आई है, उसने सभी को हैरान कर दिया है. यहां मंच पर बोलते हुए आईआईटी कानपुर के सीनियर प्रोफेसर की अचानक मौत हो गई. प्रोफेसर मंच से छात्रों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उनके आखिरी शब्द थे, ‘अपनी सेहत का ध्यान रखो’. इसके बाद आईआईटी प्रोफेसर अचानक नीचे गिर गए और उनकी पलभर में ही मौत हो गई.
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बता दें कि प्रोफेसर की मौत हार्ट अटैक आने की वजह से हुई है. प्रोफेसर आईआईटी कानपुर में तैनात थे. प्रोफेसर की मौत इतनी अचानक हुई है कि वहां बैठे छात्र समझ ही नहीं पाए कि हुआ क्या? प्रोफेसर को फौरन अस्पताल ले जाया गया, मगर उनकी मौत हो चुकी थी. प्रोफेसर अपने क्षेत्र के जाने-माने नाम थे. उनके नाम पर 8 पेटेंट भी हैं. प्रोफेसर की मौत से आईआईटी कानपुर के छात्र काफी गम में हैं और पूरा आईआईटी कानपुर स्तंभ है.
IIT कानपुर के सीनियर प्रोफेसर थे समीर खांडेकर
बता दें कि जिस सीनियर प्रोफेसर की मौत हुई है, उनका नाम समीर खांडेकर था. वह आईआईटी कानपुर में सीनियर प्रोफेसर के साथ-साथ स्टूडेंट वेलफेयर के डीन के पद पर भी तैनात थे. वह मंच पर स्पीच दे रहे थे. तभी उन्हें हार्ट अटैक आया और वह मंच पर ही नीचे गिर पड़े. कुछ ही पलों में प्रोफेसर की मौत हो गई.
आखिर शब्द भी सेहत से जुड़े थे
बता दें कि आईआईटी कानपुर में एलुमनाई मीट का कार्यक्रम रखा गया था. पूर्व छात्र इस कार्यक्रम में आए हुए थे. प्रोफेसर छात्रों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान वह अच्छी सेहत को लेकर बात कर रहे थे. अपनी मौत से पहले उन्होंने आखिरी शब्दों के तौर पर कहा, “अपनी सेहत का ध्यान रखो’. इसके बाद उन्हें अचानक सीने में तेज दर्द हुआ.
इस दौरान वह कुछ पल के लिए बैठ गए. छात्रों को लगा कि प्रोफेसर भावुक हो गए हैं. मगर तभी अचानक वह नीचे गिर पड़े और बेहोश हो गए. बता दें कि प्रोफेसर की मौत के बाद उनके शव को आईआईटी हेल्थ सेंटर में ही रख दिया गया है. प्रोफेसर का बेटा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता है. अब सभी को प्रोफेसर के बेटे के आने का इंतजार है.
आईआईटी कानपुर से ही किया था बीटेक
बता दें कि प्रोफेसर समीर खांडेकर की उम्र सिर्फ 55 साल थी. प्रोफेसर के परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी और एक बेटा है. समीर खांडेकर का जन्म जबलपुर में हुआ था. प्रोफेसर खुद आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र रहे हैं.उन्होंने खुद आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की थी. बता दें कि आईआईटी कानपुर में पढ़ने के बाद वह पीएचडी करने जर्मनी चले गए थे.
जर्मनी से पीएचडी और कुछ समय वही रहने के बाद उन्होंने साल 2004 में आईआईटी कानपुर में पढ़ाना शुरू कर दिया था. प्रोफेसर समीर खांडेकर अपनी फिल्ड के जाने-माने नाम थे. वह आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल विभाग के एचओडी भी रह चुके थे और फिलहाल में स्टूडेंट वेलफेयर डीन के पद पर बैठे थे. उनकी मौत से आईआईटी कानपुर के छात्र काफी दुखी हैं.
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