Akhilesh Yadav News: उत्तर प्रदेश के हिंसा प्रभावित संभल में पीड़ित परिवारों से बुधवार को मुलाकात करने जा रहे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को रास्ते में दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर रोक दिया गया. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता सुबह गाजीपुर सीमा पर पहुंचे, जहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और उन्हें संभल में प्रवेश करने से रोकने के लिए अवरोधक लगाए गए. कांग्रेस नेताओं और पुलिस प्रशासन के बीच काफी देर तक बात हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा. आखिरकार राहुल गांधी को संभल नहीं जाने दिया गया और वे वापस लौट गए. इसी मुद्दे पर अब सपा चीफ अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है.
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अखिलेश यादव ने कहा, "प्रशासन ने भाजपा के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया...किसी भी पार्टी के नेता को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है. वे क्या छिपाना चाहते हैं? प्रशासन की भाषा देखिए. क्या लोकतंत्र में अधिकारियों को इस तरह का व्यवहार और भाषा की अनुमति दी जा सकती है? पता नहीं वे 10 तारीख तक क्या-क्या छिपाएंगे और कितना दबाव बनाएंगे...उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में पुलिस सिर्फ लोगों को फंसाने का काम कर रही है, न्याय दिलाने का नहीं."
राहुल गांधी ने कही ये बात
पुलिस द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर रोके जाने पर पर राहुल गांधी ने कहा, "हम संभल जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस इजाजत नहीं दे रही है. विपक्ष के नेता के तौर पर जाना मेरा अधिकार है लेकिन फिर भी वे मुझे रोक रहे हैं. मैंने कहा कि मैं अकेले जाने को तैयार हूं, मैं पुलिस के साथ जाने को तैयार हूं लेकिन वे इस पर भी राजी नहीं हुए. अब वे कह रहे हैं कि अगर हम कुछ दिनों में वापस आते हैं, तो वे हमें जाने देंगे. यह विपक्ष के नेता के अधिकारों के खिलाफ है, उन्हें मुझे जाने देना चाहिए. यह संविधान के खिलाफ है, हम सिर्फ संभल जाना चाहते हैं, लोगों से मिलना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि वहां क्या हुआ. मुझे मेरे संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं. यह नया भारत है, यह संविधान को नष्ट करने वाला भारत है, हम लड़ते रहेंगे."
गौरतलब है कि संभल की एक अदालत ने 19 नवंबर को एक मुगल कालीन मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था और उसी दिन एक टीम ने वहां सर्वेक्षण किया था. तभी से वहां तनाव की स्थिति है. दावा किया गया था कि मस्जिद वाले स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था. उसके बाद 24 नवंबर को दोबारा सर्वेक्षण के दौरान प्रदर्शनकारियों के शाही जामा मस्जिद के पास एकत्र होने और सुरक्षा कर्मियों से भिड़ जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए थे.
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