Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली से बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां प्लेटफार्म पर बनी पीर मजार को लेकर रेलवे और मुस्लिम संगठन आमने-सामने आ गए हैं. बता दें कि इज्जत नगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर पीर मजार बनी हुई है. रेलवे अधिकारियों ने जैसे ही मजार को हटाने के लिए नोटिस जारी किया वैसे ही मुस्लिम समाज विरोध में उतर आया.
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रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर रेलवे स्टेशन पर बने सभी प्रकार के अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए हैं. इसी के तहत जिन-जिन स्टेशनों और प्लेटफार्म पर अतिक्रमण है, वहां नोटिस जारी किए गए हैं, जिससे लोग खुद ही उस अतिक्रमण को हटा लें. बरेली मंडल के सभी स्टेशनों पर से अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू किया गया है, जिसमें कई स्टेशनों पर धार्मिक अतिक्रमण भी बना हुआ है. धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ जाते हैं और वह रेलवे की कीमती जमीन पर कब्जा कर लेते हैं.
मुस्लिम संगठनों ने शुरू किया विरोध
बता दें कि जैसे ही इज्जत नगर स्टेशन पर बनी पीर मजार को हटाने को लेकर नोटिस जारी हुआ वैसे ही तमाम मुस्लिम संगठन इसके विरोध में उतर आए. इसके बाद मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने रेलवे अधिकारियों से इस संबंध में मुलाकात भी की और मजार को ना हटाने की मांग की. मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह मजार देश की आजादी से पहले की है इसलिए इस मजार को नहीं हटाया जाना चाहिए.
नोटिस भी कर दिया गया गायब
आपको बता दें कि अतिक्रमण हटाने को लेकर रेलवे की तरफ से मजार के पास वाले पिलर पर एक नोटिस लगाया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक, इस पर लिखा गया था कि ये अतिक्रमण 28 तारीख तक हटा दिया जाएगा. आरोप है कि बुधवार की दोपहर यह नोटिस भी लोगों ने खुद ही हटा लिया.
क्या बोले रेलवे अफसर
इस संबंध में मीडिया के साथ बातचीत करते हुए इज्जतनगर रेलवे मंडल अरुण कुमार ने बताया कि, “ रेलवे परिसर में जो भी धार्मिक स्थल या अतिक्रमण है या अन्य अतिक्रमण हैं, उनको पूरे मंडल में नोटिस दिए जा रहे हैं. इसी क्रम में इज्जत नगर स्टेशन पर नोटिस चस्पा की गई है. रेलवे की भूमि पर कई तरह के अतिक्रमण है. इसमें धार्मिक रूप में अतिक्रमण, कुछ व्यापारिक अतिक्रमण और कुछ आवासीय अतिक्रमण हैं. हम सभी तरह के अतिक्रमणों को चिन्हित कर रहे हैं.”
“आज एक डेलिगेशन ने रेलवे अधिकारियों से मुलाकात की है और ज्ञापन दिया गया है. इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर मौजूद पीर बाबा की मजार को शहीद करने की प्लानिंग बनाई जा रही है और नोटिस चस्पा कराया गया है. जैसे ही यह जानकारी सामने आई है, बरेली के तमाम मुस्लिम संगठन इसके विरोध में आए हैं.”
डां. मेहंदी हसन (जमात रजा मुस्तफा , राष्ट्रीय सचिव)
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि, “ यह मजार 1526 की है यानी 496 साल पुरानी है. हमारा हिंदुस्तान 1947 में आजाद हुआ. यह बात अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि यह जो मजार, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च, जिस जगह पर है, 1947 से पहले का जिनका स्टेटस है, वह वहीं रहनी चाहिए.”
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