Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा में फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती दरगाह को मां कामाख्या देवी मंदिर होने का दावा किया है. आगरा सिविल कोर्ट में माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह को लेकर वाद दायर कर दिया गया है. गर्भगृह दावेदारी का यह वाद न्यायालय में पेश किया गया जहां से संज्ञान लेते हुए इश्यू नोटिस जारी का आदेश दिया गया है. बता दें कि गुरुवार 9 मई को अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कोर्ट में यह वाद दायर किया है.
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कामाख्या देवी मंदिर होने का दावा
दायर की गई याचिका में माता कामाख्या आस्थांन, आर्य संस्कृति सरक्षणं ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप वादी बने हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिश्ती और प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद को प्रतिवादी बनाया गया है. आगरा से फतेहपुर सीकरी करीब 35 किलोमीटर दूर है जहाँ सलीम चिश्ती दरगाह में मां कामाख्या देवी का मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सलीम चिश्ती दरगाह को लेकर एक शूट फ़ाइल किया है.
आगरा कोर्ट में किया गया बड़ा दावा
शूट में दावा किया गया है कि फतेहपुर सीकरी की दरगाह माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह है और जामा मस्जिद परिसर, मंदिर परिसर है. मां कामाख्या देवी सिकरवारों की कुल देवी का मंदिर वहां हुआ करता था. रावधाम देव, खानवा युद्ध के दौरान वहां के राजा थे. रावधाम देव के इतिहास में इसका जिक्र किया गया है. अधिवक्ता ने यह कहा कि बाबरनामे में फतेहपुर सीकरी का बुलंद दरवाजे के दक्षिण पश्चिमी भाग में ओक्टा गोनल कुआं है और पश्चिमी पूर्वी मे एक गरीब घर है. बाबरनामे में बाबर ने इसे बनाने का जिक्र किया है. अजय प्रताप सिंह ने ये भी कहा कि ऑक्टा गोनल कुआं हिंदू आर्केटेक्चर होता है.
इस किताब का दिया गया हवाला
विदेशी अधिकारी ई. वी. हवेल ने अपनी पुस्तक में जामा मस्जिद की छत और पिलर को प्योर हिंदू डिजाइन के होने का लिखा है. अधिवक्ता ने कहा कि आगरा के पूर्व ASI सुपरीटेंडेंट डॉ. डी. वी. शर्मा ने इस एक एक्सकेवेशन (खुदाई) वीर छवेली टीला के लिए की थी. खुदाई के दौरान उन्हें सरस्वती की मूर्ति और जैन मूर्तियां मिली थी. डॉ डीवी शर्मा की एक किताब आर्केलोजी ऑफ़ फतेहपुर सीकरी न्यू डिस्कवरी लिखी है. किताब के पेज नंबर 86 पर साफ लिखा है कि जामा मस्जिद हिंदू पिलर पर बनी हुई है.
तत्कालीन पुरातत्व विभाग के सुपरिंटेंडेंट डॉ. डीवी शर्मा ने ASI को एक आरटीआई डाली थी. RTI में पूछा गया था कि सलीम चिश्ती दरगाह और मस्जिद पर कोई रिसर्च की गई है या नहीं इस पर ASI ने कोई भी रिसर्च ना होने की बात कही थी. अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि जब तक रिसर्च नहीं होगी तब तक कुछ भी कंफर्म नहीं कहा जा सकता है लेकिन प्राप्त कागजों के अनुसार लगता है कि यह अकबर से पहले का स्ट्रेक्चर है.
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