Bahraich wolf attack: भेड़ियों के आतंक की वजह से उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला सुर्खियों में बना हुआ है. भेड़ियों ने अब तक 9 लोगों की जान ले ली है और 30 से ज्यादा लोगों को घायल किया है. आदमखोर भेड़ियों के आतंक से लोगों को बचाने के लिए जिले में 'ऑपरेशन भेड़िया' चलाया जा रहा है. इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि शर्मीले व्यवहार वाला भेड़िया आखिर क्यों आदमखोर बना गया है, साथ ही यह भी सवाल है कि भेड़िए झुंड में आकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं या यह एक किसी अकेले भेड़िए का काम है? इन्हीं सवालों का जवाब वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट यादवेंद्र देव विक्रम सिंह झाला ने दिया है. खबर में आगे जानिए उन्होंने क्या बताया?
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इंडिया टुडे ग्रुप के 'दी लल्लनटॉप' से बातचीत में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट यादवेंद्र देव विक्रम सिंह झाला ने कहा, "प्रशासन बहुत मेहनत कर रहा है. भेड़िए को पकड़ना बहुत आसान नहीं है. बहुत ही मुश्किल है क्योंकि ये पिंजरों में बहुत कम आता है और ये ट्रैंकुलाइजर गन की रेंज में भी नहीं आता है. मेरे हिसाब से एक ही भेड़िया है जो बच्चों को मार रहा है. और वो कौनसा भेड़िया है, वो किसी को पता नहीं. बोला जा रहा है 6 भेड़िए हैं, उनमें से एक है. मेरे हिसाब से वो झुंड में नहीं रहता है, अकेला रहता है. जो शव मिले हैं, उनकी मैंने तस्वीरें देखी हैं. भेड़िए के मारने का जो तरीका है वो एक का है. पूरे झुंड का नहीं है. जानवर झुंड में होते हैं तो शव में कुछ बचता नहीं, सब कुछ खाया जाता है. ये एक ही जानवर की खुराक है और वो खाकर फिर वहां से निकल गया. जब यह एक जानवर मारा जाएगा या पकड़ा जाएगा तब समस्या हल हो जाएगी."
भेड़िए से बचने के लिए ये 7 सावधानियां बरतें:
रात के समय बाहर न निकलें: भेड़िए अक्सर रात के अंधेरे में शिकार करते हैं, इसलिए रात में घर से बाहर न जाएं.
समूह में रहें: अकेले रहने से बचें और हमेशा समूह में रहें, जिससे भेड़िए आप पर हमला करने से डरें.
आग जलाएं: भेड़िए आग से डरते हैं, इसलिए घर के बाहर आग जलाकर रखें.
शोर मचाएं: भेड़िए तेज आवाज से डरते हैं, इसलिए डंडे, बर्तन, या सीटी का उपयोग करें ताकि भेड़िए पास न आएं.
पशुओं को सुरक्षित रखें: अपने पालतू जानवरों को सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि वे भेड़ियों का शिकार न बनें.
मजबूत बाड़े बनाएं: घर और खेत के आसपास मजबूत बाड़े लगाएं, जिससे भेड़िए अंदर न आ सकें.
प्रशासन को सूचित करें: अगर भेड़िए नजर आएं, तो तुरंत वन विभाग या प्रशासन को जानकारी दें.
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