कांग्रेस की उत्तर प्रदेश यूनिट ने कोरोना वायरस महामारी की ‘तीसरी लहर की आशंका’ के मद्देनजर मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा को लेटर लिखकर 2022 के विधानसभा चुनाव में कई सावधानियां बरते जाने की मांग की है.
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न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इस लेटर में कहा गया है, ”राजनीतिक दलों को छोटी सभाएं जैसे चौपाल, नुक्कड़ सभा, वर्चुअल मीटिंग, डोर-टू-डोर कैंपेन या अन्य ऐसे आयोजन के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिससे जनता में कोविड-19 का कम से कम संक्रमण फैलने की संभावना हो. राजनीतिक दलों की बड़ी रैलियां निरस्त की जानी चाहिए.”
लेटर में और क्या-क्या कहा गया है-
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‘कोविड-19 की तीसरी लहर से प्रदेश की जनता को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान सोशल डिस्टेसिंग को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जाए ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.’
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‘प्रत्येक राजनीतिक दल की यह जिम्मेदारी हो और उसे प्रेरित किया जाना चाहिए कि वह वृहद स्तर पर मास्क का वितरण करे और यह क्रम लगातार चलता रहना चाहिए.’
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‘प्रधानमंत्री जी चुनाव करीब होने के चलते यूपी में कई बड़ी-बड़ी रैलियों के जरिए उद्घाटन आदि कर रहे हैं. इन उद्घाटनों में सरकारी पैसा और सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन ये उद्घाटन कार्यक्रम किसी परियोजना की शुरुआत की बजाय बीजेपी के प्रचार का मंच ज्यादा बन गए हैं. प्रधानमंत्री जी संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर इन मंचों से राजनीतिक टिप्पणियां करते हैं और यहां तक कि पीएम जी का आधिकारिक ट्विटर हैंडल भी राजनीतिक छींटाकशी का माध्यम बन गया है. चुनाव आयोग को हस्तक्षेप करके सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर पार्टी का प्रचार करने पर और राजनीतिक छींटाकशी पर रोक लगानी चाहिए.’
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‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार सरकारी खर्चे पर रैलियां कर रहे हैं. इन रैलियों में बार-बार मंच से खुद सीएम और डिप्टी सीएम गैर संवैधानिक और समाज को बांटने वाले भाषण देते हैं. सरकारी खर्चे से और संवैधानिक मंच से संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं के विरोधी रंग वाले भाषणों से साफ है कि वर्तमान सरकार द्वारा सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है. इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.’
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‘चुनाव आयोग को अभियान चलाकर प्रोत्साहित करना चाहिए कि भड़काऊ भाषणों और मु्द्दाविहीन अभियानों की बजाय चुनाव में जनता के मुद्दों पर बात हों. यही यूपी की जनता और लोकतंत्र के हित में होगा.’
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‘सभी फ्रन्ट लाइन वर्कर, सभी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी जो चुनाव ड्यूटी में तैनात किए जाते हैं, कोविड-19 के मद्देनजर उनकी पूरी सुरक्षा और सावधानी की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए.’
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