जब मोदी लहर में सारे सूरमा हवा हो गए तब डटे रहे नेताजी, बने आखिरी चुनाव में ‘विजयी मुलायम’
कुश्ती के अखाड़े में दांव-पेंच लगाने से लेकर सामने वाले से आंख से आंख मिलाकर ताल ठोंकने वाले धरती पुत्र नहीं रहे. मुलायम सिंह यादव…
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कुश्ती के अखाड़े में दांव-पेंच लगाने से लेकर सामने वाले से आंख से आंख मिलाकर ताल ठोंकने वाले धरती पुत्र नहीं रहे. मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अपने राजनैतिक कॅरियर में विजेता मुलायम बनकर रहे और विजेता ही इस दुनिया से चले गए. मुलायम सिंह यादव का आखिरी चुनाव भी काफी रोचक है. वर्ष 2019 में मोदी लहर में जब सपा के सभी सूरमा चित्त होते चले गए तब मुलायम सिंह ने मैनपुरी से जीत दर्ज की. मोदी लहर में केवल भाजपा प्रत्याशी की ही जमानत जब्त होने से बच सकी. बाकी सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
डटे रहे 79 साल के मुलायम…
वर्ष 2019 में मोदी की लहर में सपा के अधिकांश दिग्गज चारो खाने चित्त हो गए पर 79 साल के मुलायम डटे रहे. मैनपुरी सीट पर भाजपा ने कड़ी टक्कर दी पर पहलवान मुलायम को राजनीति के अखाड़े में चित्त कर पाना इतना भी आसान नहीं था. 97 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से मुलायम विजयी रहे. इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी प्रेमसिंह शाक्य को छोड़ बाकी सभी पार्टियों की जमानत जब्त हो गई. मुलायम सिंह यादव के इस अखिरी चुनाव ने उन्हें विजयी मुलायम का सेहरा पहना दिया. वे इस जीत के साथ दुनिया से चले गए. सपा संस्थापक ने आखिरी बार तक पार्टी का झंडा बुलंद रखा और ये बता दिया कि लहर चाहे कैसी भी हो मुलायम ने चित्त होना नहीं सीखा.
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…और ये ख्वाब अधूरा रह गया
Mulayam Singh Death: ये वही मैनपुरी सीट है जिसने पहली बार मुलायम सिंह यादव को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाया. वे 1996 में देश के रक्षामंत्री बने. हालांकि केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार थी जो ज्यादा दिन तक नहीं चली थी पर मुलायम ने प्रदेश की सीमाओं से निकल केंद्र की संसदीय राजनीति का धमाकेदार आगाज किया था. एक समय ऐसा भी आया जब मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री के दौड़ में गिना जाने लगा. यूपी की सत्ता में अपना जलवा दिखा चुके मुलायम की धमक केंद्र की सत्ता में बढ़ती देख सहयोगी की घबरा गए. उन्होंने साथ नहीं दिया. नतीजा मुलायम का ये ख्वाब अधूरा रह गया.
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आखिरी बार विधायक बनकर सीएम बनने का मुलायम सिंह यादव का रिकॉर्ड 2022 में टूटा जब योगी आदित्यनाथ विधायक चुने के जाने के बाद योगी 2.0 की सत्ता संभाली.
विधायक बन सीएम बने
उत्तर प्रदेश की राजनीति में विधान परिषद का सदस्य बन मुख्यमंत्री बनने की परंपरा साल 1989 के बाद से पड़ी. साल 2003 में मुलायम सिंह यादव जब तीसरी बार सीएम बने तो उस वक्त वे मैनपुरी से सांसद थे. फिर उन्होंने संभल जिले के गुन्नौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया. उस वक्त जदयू के अजीत कुमार यादव राजू उस सीट से विधायक चुने गए थे. उन्होंने मुलायम सिंह के लिए वो सीट छोड़ दी.
एकतरफा लड़ाई में मुलायम सिंह यादव रिकॉर्ड वोटों से विजयी हुए. साल 2022 से पहले तक मुलायम ऐसे आखिरी सीएम थे जिन्होंने विधानसभा की सदस्यता लेकर सीएम की कुर्सी संभाली. इसके बाद वर्ष 2022 से पहले तक मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ चुनावी समर में सीधे नहीं उतरे. पार्टी के जीतने के बाद इन्होंने विधान परिषद के सदस्य बन प्रदेश की बागडोर संभाली. यानी करीब 19 साल तक ये MLC बन मुख्यमंत्री बनने की परंपरा बनी रही.
28 की उम्र में पहली बार विधायक बने, 3 बार रहे सीएम
मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. 1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007. उन्होंने 1996 से 1998 तक देश के रक्षामंत्री का भी पद संभाला. मुलायम सिंह यादव 1967 में पहली बार विधायक बने फिर लगातार आठ बार विधायक का चुनाव जीता. आपातकाल के दौरान समाजवादी राजनीति और इंदिरा सरकार की मुखालफत को लेकर गिरफ्तार हुए और 19 महीने जेल में रहे. मुलायम सिंह यादव ने 1982 से 1985 तक यूपी में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अदा की थी.
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