लखनऊ: विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने जयंत चौधरी को पत्र लिख दिया जवाब, कही ये बात

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रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के ट्वीट के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें लेटर लिखकर जवाब दिया है. महाना ने लेटर में कहा कि न ही आजम खान (Azam Khan) की सदस्यता रद्द करने में मेरी भूमिका थी और न ही विक्रम सैनी के लिए मेरे द्वारा कोई निर्णय लिया जाना अपेक्षित है.

महाना ने कहा- विक्रम सिंह सैनी के संबंध में विधान सभा सचिवालय को विधिसंगत कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं.यह अच्छा होता अगर जयंत उनका ध्यान आकर्षित करने से पहले सही स्थिति ज्ञात कर लेते.

ध्यान देने वाली बात है कि जयंत चौधरी ने ट्वीट कर लिखा था- ‘आख़िरकार कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेकर भाजपा के विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द की गई है। उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष को मेरे पत्र के बाद कुछ लोग कह रहे थे की मुझे जन प्रतिनिधित्व क़ानून की पूरी जानकारी नहीं है! सदन की गरिमा के लिए ये कदम अनिवार्य था।’

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इससे पहले आजम खान की सदस्यता खत्म होने पर जयंत चौधरी ने एक ट्वीट कर बीजेपी विधायक विक्रम सैनी का मामला उठाया था. इधर शुक्रवार को ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने लेटर लिख जयंत चौधरी को जवाब दिया है.

महाना ने लेटर में लिखा है- “कृपया अपने पत्र दिनांक 29 अक्टूबर, 2022 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसमें श्री विक्रम सिंह सैनी, विधायक, खतौली, मुजफ्फरनगर के संदर्भ में कोई निर्णय न लेने एवं मेरे स्तर पर भिन्न मानक अपनाने के विषय में इंगित किया गया है। यह पत्र मेरे संज्ञान में मीडिया के माध्यम से आया। पत्र में वर्णित तथ्यों के विषय में विधिक अवधारणाओं का विवरण दिया जाना अनिवार्य है, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके।

सर्वप्रथम यह उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष के स्तर पर मेरे द्वारा किसी सदस्य को न्यायालय द्वारा दण्डित करने की स्थिति में कोई सदस्यता रद्द किए जाने का निर्णय नहीं लिया जाता है। इस संबंध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा याचिका संख्या – 490 / 2005 एवं याचिका संख्या-231/2005 में दिनांक 10 जुलाई, 2013 को पारित निर्णय के अनुसार सदन के किसी सदस्य को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अंतर्गत किसी न्यायालय द्वारा दण्डित किए जाने पर उसकी सदस्यता निर्णय के दिनांक से स्वतः समाप्त मानी जाएगी। मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी निर्णय में यह भी अवधारित किया गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) के अंतर्गत अपील योजित करने के आधार पर ऐसे सदस्य को कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा । मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को इस निर्णय में असंवैधानिक घोषित किया गया है। मा० सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के सुसंगत अंश निम्नवत् हैं

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विषय में कोई भूमिका नहीं है। सदस्यता अथवा उसकी निरर्हता मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के क्रम में स्वतः ही क्रियान्वित होगी। अतः यह कहना विधिक रूप से उपयुक्त नहीं है कि श्री विक्रम सिंह सैनी के संदर्भ में मेरे द्वारा कोई निर्णय लिया जाना अपेक्षित है। इसी प्रकार श्री मोहम्मद आजम खाँ की सदस्यता रद्द करने के संदर्भ में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। अतः मेरे स्तर से इस पूरे प्रकरण में कोई भेदभाव किए जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है।

जहां तक विधान सभा सचिवालय द्वारा किसी मा० सदस्य को न्यायालय द्वारा दण्डित किए जाने के पश्चात् रिक्ति घोषित करने का प्रश्न वह कार्यवाही निर्णय की प्रति प्राप्त होने के पश्चात् सचिवालय द्वारा की जाती है। मेरे द्वारा श्री विक्रम सिंह सैनी के संबंध में विधान सभा सचिवालय को विधिसंगत कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उपर्युक्त वर्णित स्थिति में मेरा यह विनम्र मत है कि उपयुक्त होता कि यदि आप प्रस्तुत प्रकरण में मेरा ध्यान आकर्षित करने से पूर्व सही स्थिति ज्ञात कर लेते।”

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जयंत चौधरी ने किया ट्वीट- ‘BJP विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द’, इधर सैनी ने कही ये बात

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