कहानी माफिया मुख्तार अंसारी की, जिनके दादा स्वतंत्रा सेनानी और नाना फौज में ब्रिगेडियर थे
उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया का जिक्र हो और माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) का नाम उसमें ना आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है.
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया का जिक्र हो और माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) का नाम उसमें ना आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है. यूपी के पूर्वांचल में एक समय अपना दबदबा रखने वाले माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का गुरुवार को अस्पताल में निधन हो गया. बांदा जेल में बंद मुख्तार की मौत मुख्तार अंसारी का कार्डियक अरेस्ट से हुआ. माफिया डॉन को गुरुवार रात को बेहोशी की हालत में बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया जहां से कुछ देर बाद उसकी मौत की खबर आई. मुख्तार की मौत के साथ ही पूर्वांचल में अपराध का वो अध्याय भी समाप्त हो गया जिसे शुरु करने में उसका हाथ माना जाता रहा है.
दादा स्वतंत्रा सेनानी और नाना फौज में ब्रिगेडियर
यूपी के पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का क्या खौफ था, इसका अंदाजा उस इलाके में रहने वाले लोग ही बयां कर सकते हैं. लेकिन पूर्वांचल में एक समय सबसे ताकतवर शख्स मुख्तार अंसारी का परिवार गाजीपुर में एक प्रतिष्ठित हैसियत रखता था. मुख्तार के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस के बड़े नेता थे. मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रा सेनानी थे. वह स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. मुख्तार अंसारी के नाना मोहम्मद उस्मान अंसारी फौज में ब्रिगेडियर थे. ऐसे प्रतिष्ठित लोगों की छाया में पले-बढ़े मुख्तार अंसारी का माफियागिरी से कैसे वास्ता हो गया, यह सवाल हर किसी के मन में आता ही है. 1988 में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम अपराध की दुनिया में सामने आया था. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार को नामजद किया गया था.
अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम
साल 1995 में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया. 1996 में पहली बार मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर यूपी के मऊ से विधायक चुना गया. उसके बाद मऊ विधानसभा से साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुना गया. नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की बीच सड़क पर दर्दनाक हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार पर लगा था और पिछले साल इस मामले में मुख्तार दोषी भी करार दिया गया. 2012 में मुख्तार अंसारी और भाई अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से पार्टी का गठन किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी कौमी एकता दल से मऊ सीट से लड़ा और जीता.
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