RO-ARO एग्जाम: महज 411 सीटों के लिए करीब 10 लाख बच्चे! परीक्षा से जुड़ा पूरा विवाद समझिए
RO-ARO एग्जाम: यूपी लोक सेवा आयोग के बाहर छात्रों का प्रदर्शन जारी, 'वन डे-वन शिफ्ट' परीक्षा और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के खिलाफ उठाई आवाज. आयोग ने सफाई देते हुए छात्रों से गुमराह न होने की अपील की.
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UP News: प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर आरो-एआरओ और पीसीएस एग्जाम के प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. सैकड़ों छात्र 'वन डे-वन शिफ्ट' में परीक्षा आयोजित कराने की मांग को लेकर डंटे हुए हैं. इसके साथ ही वे नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का भी विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि आयोग द्वारा परीक्षा प्रणाली में किए जा रहे बदलाव से उनकी मेहनत और भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
छात्रों की मांग के पीछे का ये है तर्क
प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि आयोग 7 और 8 दिसंबर को आरो-एआरओ की 411 पदों पर परीक्षा 41 जिलों में आयोजित कर रहा है, जबकि इसे सभी 75 जिलों में एक ही दिन एक शिफ्ट में आयोजित किया जाना चाहिए. इस परीक्षा में करीब 10 लाख छात्रों की बैठने की संभावना है और उनका कहना है कि इससे परीक्षा को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सकता है और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी. छात्रों की मांग है कि एक बार जब भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो परीक्षा के नियमों में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी परीक्षा के नियमों में बदलाव केवल प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही किया जा सकता है.
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का हो रहा विरोध
छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि यह प्रक्रिया सही मायने में सभी अभ्यर्थियों के लिए न्यायसंगत नहीं है. नॉर्मलाइजेशन के कारण कई योग्य छात्रों को नुकसान उठाना पड़ता है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने यह भी चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें आयोग की ओर से लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे. सबसे पहले अब आप यह समझिए कि इस प्रक्रिया से किसी छात्र की पर्सेंटाइल कैसे निकलेगी और इसका विरोध क्यों है.
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क्या है पर्सेंटाइल निकालने का फार्मूला?
Pij= (Number of candidates in shift (j) having raw scores less then aur equal to Xij/Nj) X 100
Pij= Percentile Score.
Xij+ Actual Marks (Raw Score) of a Candidate.
Nj= Total Number of Candidate appearing in shift.
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कैसे निकाली जाएगी पर्सेंटाइल?
अगर किसी एक पाली में 1000 बच्चों ने परीक्षा दी. फर्ज कीजिए इन हजार बच्चों में एक सुरेश नामक अभ्यर्थी भी था. सुरेश ने 150 में से 120 नंबर हासिल किए. सुरेश के बराबर या उससे नीचे 800 अभ्यर्थी थे. अब सवाल यह है कि सुरेश की पर्सेंटाइल कैसे निकलेगी? बता दें कि इसके लिए बोर्ड ने एक फॉर्मूला जारी किया है. इसके अनुसार, सुरेश के जितने अंक आए, उतने या उससे कम नंबर जितने छात्रों के आए हैं (800), उनकी संख्या में कुल परीक्षा देने पहुंचे छात्रों की संख्या (1000) का भाग दिया जाएगा और फिर उसे 100 से गुणा करना होगा. इसका जो हासिल होगा, वही सुरेश की पर्सेंटाइल होगी.
क्यों हो रहा है इसका विरोध?
विरोध की वजह जानने के लिए यूपी Tak ने प्रयागराज की एक कोचिंग संस्था के टीचर केडी सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में कई खामियां हैं और सरकार ने अभी इसको लेकर पूरी तरह से सही जानकारी नहीं दी है. केडी सर ने बताया कि अगर तीन पालियों में परीक्षा होती है. और पहली पाली में 1000, दूसरी में 2000 और तीसरी में 2500 अभ्यर्थी परीक्षा देने आते हैं. ऐसे में जिस पाली में 2500 बच्चे हैं, उस पाली में अगर किसी छात्र के ज्यादा भी अंक आए तो उसका तो भी उसकी पर्सेंटाइल प्रभावित हो सकती है.
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इसके अलावा, केडी सर ने बताया, "इस परीक्षा में जीएस आती है. ऐसे में जीएस के एग्जाम में यह तय नहीं किया जा सकता कि कौनसा सवाल आसान है और कौनसा कठिन. किसी एक अभ्यर्थी को अगर सवाल का जवाब पता है तो उसके लिए सवाल आसान था और अगर नहीं पता है तो सवाल कठिन था. नॉर्मलाइजेशन एक सामान्यकरण की प्रक्रिया है. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में योग्यता पीछे छिप जाती है. यहां संघर्ष स्किल्ड और नॉन स्किल्ड पर हो रहा है. ऐसे में नॉन स्किल्ड बच्चा लक के आधार पर चयन ले सकता है.
जानें योग्य अभ्यर्थी का कैसे हो सकता है नुकसान?
इस पर केडी सर ने कहा, "नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया मुख्य परीक्षा में लागू की जा सकती है. लेकिन प्री एग्जाम में जहां पर लड़ाई पॉइन्ट वन मार्क्स के लिए होती है, वहां पर यह प्रक्रिया लागू नहीं जा सकती है. प्री एक स्क्रीनिंग एग्जाम होता है, न कि यह वास्तव में इम्तिहान है." उन्होंने कहा कि अगर कोई योग्य छात्र इस प्रक्रिया में छंट गया तो यह अन्याय है.
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