Exclusive: संभल में 4 दशकों से बंद मंदिर खुला, कुएं से निकलीं मूर्तियां तो वो रूह कंपाने वाला फड़ कांड आया याद, क्या हुआ था हिंदुओं के साथ?
Sambhal Mandir Updates: संभल में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद रखे गए एक मंदिर को प्रशासन ने पिछले दिनों खुलावाया है. करीब चार दशक से अधिक समय (करीब 46 साल) से बंद इस मंदिर के बारे में तब पता चला है जब यहां बिजली चोरी, अतिक्रमण रोकने और धरपकड़ के लिए एक टीम पहुंची.
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Sambhal Temple news: संभल में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद रखे गए एक मंदिर को प्रशासन ने पिछले दिनों खुलावाया है. करीब चार दशक से अधिक समय (करीब 46 साल) से बंद इस मंदिर के बारे में तब पता चला है जब यहां बिजली चोरी, अतिक्रमण रोकने और धरपकड़ के लिए एक टीम पहुंची. प्रशासन के मुताबिक यह शिव मंदिर और यहां एक कूप (कुआं) भी मिला है. कुआं अतिक्रमण की वजह से ढंक गया है और इसकी खुदाई के दौरान तीन मूर्तियां और स्वास्तिक बनी हुई तीन ईंटें भी मिली हैं. अंदर और मूर्तियों के मिलने की संभावना है. खुदाई से वो मूर्तियां खंडित न हो जाएं, इस डर को देखते हुए खुदाई फिलहाल रोक दी गई है. इस बीच संभल डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा है कि करीब 46 साल बाद खोले गए मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है. इस मंदिर में फिर से पूजा पाठ शुरू तो हो गया है, लेकिन इस घटना के बाद संभल में हुए एक बड़े दंगे की याद भी ताजा हो गई है. यह दंगा संभल के 'फड़ कांड' के नाम से जाना जाता है. दावा है कि इस दंगे के बाद यहां की हिंदू आबादी अपने घरों को बेचकर पलायन कर गई. बाद के दिनों में ये मंदिर और कूप भी अतिक्रमण का शिकार हो गया.
आइए आपको संभल के उस फड़ कांड का पूरा ब्यौरा बताते हैं
संभल के खागू सराय इलाके में मिला ये मंदिर और खुदाई में मिला ये गहरा कुआं संभल के एक कड़वे और दर्दनाक सच की कहानी बयान करता है. जहां ये शिव मंदिर मिला है वहां यहां कभी कई हिन्दू परिवार रहते थे. लेकिन 1978 में यहां भयानक दंगा हुआ था. इसके बाद से हिंदू परिवार पलायन कर गया था. अब मंदिर मिलने के बाद 2 ऐसे ही लोग प्रदीप और कैलाश मंदिर दर्शन करने आए थे, जिन्होंने इस गली में हुए पलायन की पूरी कहानी बताई है.
प्रदीप और कैलाश ने बताया कि, 'पहले इसी गली में ये मंदिर के सामने वाला मकान उनका था. 1978 में जब दंगा हुआ और हम धीरे धीरे मकान बेचकर चले गए, डर और भय का माहौल था, अब मंदिर खुला तो यादें ताजा हो गईं और दर्शन करने आ गए.' गली में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के शारिक और मोहम्मद सलमान ने प्रदीप और कैलाश की बातों को पुख्ता करते हुए बताया कि पहले यहां कई हिन्दू परिवार रहता था आपस में मेल-जोल था. धीरे धीरे सभी लोग मकान बेंच कर चले गए. ये मंदिर जैसा था अब भी वैसा ही है.
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1970-71 में यहां जनगणना करने वाले का दावा- तब 95 हिन्दू वोट थे!
अब जानिए जिस गली में मंदिर में और खुदाई में कुआं मिला उस गली का पूरा सच. 1970-71 में भारत सरकार जनगणना करवा रही थी और इस गली में जनगणना करने की जिम्मेदारी जिस शख्स को मिली थी, उन्होंने यूपी Tak से बात की थी. इन्होंने बताया कि इस गली में 95 वोट हिन्दू के थे. वो कहते हैं, 'तब मैंने जनगणना की थी लेकिन अब यहां कोई हिन्दू नहीं बचा. 1978 में जो दंगा हुआ था वो इतना भयानक था कि आज भी याद करके रूह कांप जाती है. एक फैक्ट्री में हिंदुओं को जला दिया गया था किसी ने बचाने की कोशिश नहीं की, अगर कोई बचाता तो बहुत लोगों की जान बच जाती है, दंगों की वजह से धीरे धीरे यहां से हिंदू आबादी खत्म हो गई.'
सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी किया इस मंदिर और संभल के पुराने दंगे का जिक्र
संभल में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद रखे गए एक मंदिर को प्रशासन द्वारा फिर से खोले जाने पर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी प्रतिक्रिया आई है. सीएम योगी ने कहा कि यह मंदिर रातोंरात प्रकट नहीं हुआ है, बल्कि यह ‘‘हमारी चिरस्थायी विरासत और हमारे इतिहास की सच्चाई’’ का प्रतिनिधित्व करता है. महाकुंभ पर एक कार्यक्रम में, मुख्यमंत्री ने 46 साल पहले संभल में हुई दुखद घटनाओं का उल्लेख किया, जहां निर्दोष लोगों ने ‘‘बर्बर हिंसा’’ में अपनी जान गंवा दी थी. मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ’’नरसंहार के अपराधियों को दशकों बाद भी अदालत के कठघरे में क्यों नहीं लाया गया?’’
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एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने संभल स्थित मंदिर के बारे में बात की, जिसे स्थानीय प्रशासन द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान दशकों बाद हाल में खोला गया है. मुख्यमंत्री ने कहा, “संभल में इतना प्राचीन मंदिर, बजरंग बली की प्राचीन मूर्ति और ज्योतिर्लिंग रातोंरात तो नहीं प्रकट हो गईं. यह हमारी चिरस्थायी विरासत और हमारे इतिहास की वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता है.”
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