खिलजी के माफीनामा में मिली थी 96 बीघा जमीन…वक्फ बोर्ड का था दावा, कोर्ट में ये सच सामने आया

अखिलेश कुमार

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Kaushambi Waqf News
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UP News: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ बोर्ड में संसोधन कर रही है और इसके लिए कानून लाने की कोशिश कर रही है. फिलहाल ये कानून सदन की जेपीसी कमेटी में है. इसी बीच उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे से 96 बीघा बेशकीमती जमीन मुक्त करवाई गई है.अब इस जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करवाया गया है. इससे पहले ये जमीन वक्फ बोर्ड के कब्जे में थी. 

बता दें कि 96 बीघा की ये बेशकीमती जमीन कौशांबी के कड़ा धाम इलाके में थी. अब इस मामले की पूरी रिपोर्ट एडीएम न्यायिक द्वारा केंद्र सरकार को भेजी गई है. सरकार ने भी इसे स्वीकार कर लिया है. इसी के साथ ये पूरा मामला चर्चाओं में आ गया है. इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपये में हैं. बताया जा रहा है कि काफी समय से ये जमीन वफ्फ के अवैध कब्जे में थी.

1946 से कोर्ट में चल रहा था केस

मिली जानकारी के मुताबिक, सिराथू तहसील के कड़ा धाम में 96 बीघा जमीन का प्रकरण वर्ष 1946 से कोर्ट में चल रहा था. मगर अभी तक मामले का अंत नहीं हो रहा था. मामला तत्कालीन एडीएम न्यायिक डॉ. विश्राम की कोर्ट में चला. शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) शिवमूर्ति द्विवेदी ने मामले को गंभीरता से लिया और इसकी जांच की. इसके बाद ये कार्रवाई शुरू की. मामले की जांच के बाद वक्फ बोर्ड से 96 बीघा जमीन वापस ले ली गई और इस जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करवा दिया गया. 

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बता दें कि जब पूरे प्रदेश में कार्रवाई शुरू हुई तो अब तत्कालीन एडीएम न्यायिक की कोर्ट में चली कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया. 4 बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए शासकीय अधिवक्ता ने शासन को सुझाव भेजा. यह सुझाव स्वीकार कर लिया गया है.  

शासकीय अधिवक्ता राजस्व शिवमूर्ति द्विवेदी ने बताया, 2022 में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी की अदालत में 96 बीघा जमीन को वफ्फ के नाम हटाकर सरकारी खाते में दर्ज कर दिया गया. यह मुकदमा 1946 से चल रहा था. इसमें कहा गया था कि अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा माफीनामा में यह जमीन उन्हें मिली थी. अब ये जमीन सरकार की हो गई है. ये ग्राम सभा की ही जमीन थी. कोर्ट में मामला चलने के बाद ये एक्शन लिया गया है.

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जिलाधिकारी ने ये कहा

इस पूरे मामले पर कौशांबी DM मधुसूदन हुल्गी ने बताया, यह जमीन वक्फ बोर्ड रजिस्टर थी. जब विवाद कोर्ट में चला तो सामने आया कि ये जमीन ग्राम सभा की थी. फिर इसकी जांच की गई. इसके बाद कोर्ट से आदेश मिला. सामने आया कि ये जमीन ग्राम सभा की ही थी. इसको वापस ग्राम सभा में दर्ज करवा दिया गया है.

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