अब यूपी में ही तय होगा डीजीपी, योगी कैबिनेट ने नियमावली को दे दी मंजूरी, जानिए डिटेल
Yogi Cabinet Decisions: उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी गई है.
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Yogi Cabinet Decisions: उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी गई है. इसे सोमवार को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है. इतना ही नहीं, अब यूपी के डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होगा. कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चयन नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी है. इससे डीजीपी की नियुक्ति अब राज्य स्तर से ही हो सकेगा. यूपीएसएसी को पैनल नहीं भेजना पड़ेगा.
यूपी और केंद्र सरकार के बीच रहा है विवाद का विषय
बता दें कि उत्तर प्रदेश में डीजीपी की तैनाती लंबे समय से केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच विवाद का विषय बनती रही है. 1 जुलाई 2021 को डीओपीटी की संतुति के बाद 1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल को डीजीपी बनाया गया था. लेकिन 10 महीने बाद ही 11 मई 2022 को मुकुल गोयल को उनके शिथिल पर्यवेक्षण के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पद से हटा दिया और डीजीपी से डीजी डिफेंस बनाया था. इस संबंध में जब संघ लोक सेवा आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार ने वजह पूछी तो यूपी सरकार ने जवाब दिया कि मुकुल गोयल डीजीपी बनने लायक नहीं थे वरिष्ठता के साथ-साथ क्षमता भी होना चाहिए.
ढाई साल तक रहा कार्यवाहक डीजीपी
मुकुल गोयल को हटाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दो दिन बाद डीजी इंटेलिजेंस रहे डीएस चौहान को उत्तर प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया.31 मार्च 2023, रिटायर होने तक डीएस चौहान उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी बने रहे. इसके बाद डीजी भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया जो 31 मई 2023 को रिटायर हो गए. 31 मई 2023 को आरके विश्वकर्मा के रिटायर होने के बाद विजय कुमार को उत्तर प्रदेश का नया कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया. 31 जनवरी 2024 को विजय कुमार रिटायर हुए तो उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया. यानी 11 मई 2022 को मुकुल गोयल के हटने के बाद बीते ढाई सालों से उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चलाया जा रहा था.
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पहले ऐसे होता था चयन
डीजीपी के चयन में अब तक प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार, संघ लोक सेवा आयोग को DG पद के सभी अफसर का नाम भेजती है. संघ लोक सेवा आयोग से पहले केंद्र का डिपार्मेंट आफ पर्सनल ट्रेंनिंग यानी डीओपीटी तीन सीनियर मोस्ट अधिकारियों का पैनल बनाकर भेजता है, जिनके पास काम से कम 2 साल का कार्यकाल हो. राज्य सरकार की तरफ से उन DG पद के अफसर का नाम नहीं भेजा जाता जिनका 6 महीने या उससे कम वक्त में रिटायरमेंट होना हो. संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा भेजे गए तीन अफसरों के नाम में एक अफसर को डीजीपी बनाया जाता है.
योगी सरकार ने दी ये मंजूरी
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो कानून व्यवस्था को संभालने की जिस नीति पर सरकार काम कर रही थी उसे मानक पर खरा उतरने वाले अफसरो की लगातार कमी महसूस की जा रही थी. सरकार के भरोसेमंद अफसर जूनियर थे जिनको डीजीपी बनाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग के मानक आड़े आते थे. अब कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद संघ लोक सेवा आयोग का दखल खत्म हो जाएगा.
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अब उत्तर प्रदेश के डीजीपी का चयन हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी. इस कमेटी में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष होंगे. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित एक व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या नामित व्यक्ति, प्रमुख सचिव गृह, एक रिटायर्ड DGP जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस में काम किया हो, यह कमेटी स्थाई डीजीपी का चयन करेगी. कैबिनेट से पारित प्रस्ताव के अनुसार नई व्यवस्था में बनाए गए डीजीपी का कार्यकाल 2 साल का होगा.
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