अपनी जगह बेटे आदित्य को बदायूं से क्यों चुनाव लड़ाना चाहते हैं शिवपाल? अखिलेश अब क्या करेंगे

कुमार अभिषेक

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बदायूं में सपा बदल सकती है प्रत्याशी (फाइल फोटो)
बदायूं में सपा बदल सकती है प्रत्याशी (फाइल फोटो)
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UP Political News: गुन्नौर में कार्यकर्ता सम्मेलन में वरिष्ठ समाजवादी पार्टी (सपा) नेता शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को बदायूं से उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव पास हुआ है. बता दें कि सपा ने यहां से शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया है. मगर ऐसी चर्चा है कि कार्यकर्ता शिवपाल के बेटे आदित्य को यहां से उम्मीदवार बनाना चाहते हैं. वहीं, प्रस्ताव के पास होने के बाद से आदित्य एक्शन मोड में आ गए हैं. शिवपाल यादव की गैर मौजूदगी में उन्होंने फिलहाल बदायूं के चुनाव प्रचार की कमान भी संभाल ली है. जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव की हरी झंडी मिल चुकी है. मगर परिवारवाद का आरोप जोर न पकड़ ले, इसलिए फिलहाल दो चरणों के चुनाव के नामांकन तक इस ऐलान को रोका गया है. चर्चा है कि जल्द ही आदित्य यादव के नाम का ऐलान हो सकता है.

बदायूं से बेटे को चुनाव क्यों लड़ाना चाहते हैं शिवपाल?

 

आखिर ऐसी कौन सी बात है कि शिवपाल यादव खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते और बदायूं से अपने बेटे आदित्य को ही लड़ना चाहते हैं. दरअसल जब से बदायूं के टिकट का ऐलान हुआ है और समाजवादी पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं में शुमार शिवपाल यादव को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. तभी से शिवपाल यादव इस कोशिश में थे कि उनके टिकट को बदल दिया जाए और उनकी जगह उनके बेटे को यह सीट दे दी जाए. शिवपाल यादव इस बात से खुश नहीं थे कि उनसे बिना चर्चा किए उन्हें उम्मीदवार बना दिया गया. मगर चाचा ने ऐसा जोर लगाया कि अब अखिलेश यादव को भी शिवपाल यादव के बेटे आदित्य के लिए विचार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

 

 

रामगोपाल आदित्य को टिकट देने के लिए हुए तैयार?

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में लगातार यह संदेश जा रहा था कि शिवपाल यादव चुनाव नहीं लड़ना चाहते. जब कई बार खुद शिवपाल यादव अपनी मुंह से इस बात को बोल गए. तब परिवार और इस इलाके के समाजवादी पार्टी के बड़े कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव को इस बात के लिए मनाने की कोशिश की कि शिवपाल यादव की जगह आदित्य को टिकट दे दिया जाए. वैसे भी कई टिकट लगातार बदले जा रहे हैं और शिवपाल यादव का भी टिकट अगर बदल दिया जाता है तो कोई बहुत असर नहीं होगा. बताया जाता है कि रामगोपाल यादव भी इस बात के लिए तैयार हो गए कि शिवपाल यादव की जगह आदित्य को टिकट दे दिया जाए.

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अखिलेश किस बात से थे परेशान?

समाजवादी पार्टी को लगता है कि हर बड़े नेता के बेटे को टिकट देने पर भाजपा इसे मुद्दा बन सकती है. इसलिए पार्टी शिवपाल यादव का टिकट बदलने में हिचक रही थी. मगर इस पर जल्द फैसले की उम्मीद की जा रही है. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव बदायूं में पार्टी के भीतर की गुटबाजी से परेशान थे. अशोक पाल यादव से बेहतर कोई चेहरा नहीं था जिनके नाम पर गुटबाजी खत्म हो सकती थी. माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी बदायूं में अब खत्म हो चुकी है. ऐसे में शिवपाल के बेटे के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है.

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