Ayodhya Ram Mandir: साउथ अफ्रीकी क्रिकेटर केशव महाराज ने अयोध्या राम मंदिर को लेकर ये कहा
Ram Mandir in Ayodhya: भारतीय मूल के साउथ अफ्रीका के क्रिकेट स्टार केशव महाराज ने भी राम मंदिर को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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Ayodhya Ram Mandir: 500 साल पुराने देश के सबसे बड़े राजनीतिक और धार्मिक विवाद का 22 जनवरी को अंत हो जाएगा. इसी दिन अयोध्या में बन रहे भव्य और दिव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसको लेकर देशभर में उत्साह है और रामभक्तों में जश्न का माहौल है. बता दें कि अब अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की गूंज विदेशों तक में सुनाई देने लगी है. अब भारतीय मूल के साउथ अफ्रीकी क्रिकेट स्टार केशव महाराज ने भी राम मंदिर को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. केशव महाराज ने कहा है कि वह अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में दर्शन करने निश्चित तौर पर जाना चाहेंगे.
रामलला के दर्शन करना चाहते हैं केशव महाराज
हमारे सहयोगी दी लल्लनटॉप ने साउथ अफ्रीकी क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी केशव महाराज से सवाल किया, अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बन रहा है, वहां जाने का कोई प्लान है? केशव महाराज ने इसके जवाब में कहा, ‘मैं वहां निश्चित तौर पर जाना चाहूंगा. वहां अगले हफ्ते प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. उस समय तो साउथ अफ्रीका का टी-20 मैच चल रहा होगा. इसलिए प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर मैं वहां मौजूद नहीं रह पाऊंगा. मगर मैं अयोध्या जाना चाहता हूं.
हमारे सहयोगी दी लल्लनटॉप से बात करते हुए केशव महाराज ने आगे कहा, अगर में आने वाले समय में भारत जाता हूं, तो मैं अयोध्या राम मंदिर के दर्शन करने जाऊंगा.
पद्मनाभस्वामी मंदिर गए थे केशव महाराज
बता दें कि हाल ही में केशव महाराज साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम के साथ भारत दौरे पर आए थे. इस दौरान केशव महाराज काफी सुर्खियों में रहे थे. इस दौरान केशव महाराज ने अपने पिता के साथ पद्मनाभस्वामी मंदिर में दर्शन भी किए थे. उनकी वह फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. बता दें कि केशव महाराज राम-हनुमान भक्त माने जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केशव महाराज के बैट पर ओम बना हुआ है. वह साउथ अफ्रीका में रहकर भी सभी हिंदू त्योहार मनाते हैं.
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यूपी से है नाता
बता दें कि केशव महाराज का नाता उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से है. केशव महाराज के पिता के मुताबिक, उनके पूर्वज सुल्तानपुर में रहते थे. साल 1874 में उनके पूर्वज अच्छी नौकरी की तलाश में सुल्तानपुर से साउथ अफ्रीकी शहर डरबन चले गए थे. इस परिवार ने साउथ अफ्रीका में जाकर अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया और वह हिंदू धर्म से हमेशा जुड़े रहे.
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