झांसी की जिस रिचा पर लेखपाल बनते ही पति नीरज को छोड़ने का लगा आरोप उसका पक्ष भी जान लीजिए

प्रमोद कुमार गौतम

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Jhansi News: उत्तर प्रदेश से फिर एक बार चर्चित PCS अधिकारी ज्योति मौर्य जैसा केस सामने आया है. आपको बता दें कि इसी कड़ी में ताजा मामला झांसी जिले से सामने आया है. यहां कारपेंटर का काम करने वाले नीरज विश्वकर्मा नामक युवक ने आरोप लगाया है कि उसने मजदूरी कर अपनी पत्नी रिचा को खूब पढ़ाया लिखाया, नतीजा यह निकला कि वह लेखपाल बन गई लेकिन अब वह उसे छोड़कर चली गई है. नीरज ने यूपी Tak से बात करते हुए कहा है कि पत्नी का यूं छोड़कर चले जाने के बाद से वह बहुत परेशान है. नीरज ने पुलिस-प्रशासन से उसे न्याय दिलाने की मान की है. वहीं, दूसरी तरफ मामले में रिचा का भी पक्ष सामने आया है. रिचा ने दावा करते हुए कहा है कि उसकी कभी भी नीरज से शादी हुई ही नहीं थी.

क्या है पूरा मामला?

 

नीरज झांसी के शहर कोतवाली अंतर्गत बड़ागांव गेट बाहर बाबा का अटा इलाके का निवासी है. नीरज तीन भाई हैं, जिनमें से वह सबसे छोटा है. नीरज विश्वकर्मा कारपेंटर का काम करता है. करीब 5 साल पहले झांसी के सत्यम कालोनी में रहने वाली रिचा सोनी नामक युवती से दोस्त के घर उसकी मुलाकात हुई थी. छह माह दोस्ती चलने के बाद कब उन्हें एक दूसरे-प्यार हो गया, यह पता भी नहीं चला. प्यार होने के बाद दोनों करीब ढाई साल रिलेशनशिप में रहे और फिर ओरछा मंदिर में जाकर शादी कर ली.    

 

 

लेखपाल बनते ही रिचा के बदल गए तेवर

शादी करने के बाद दोनों घर आ गए और साथ हंसी-खुशी से रहने लगे. इस दौरान लड़की रिचा ने उसे बताया था कि वह आगे पढ़ना चाहती है. रिचा को पढ़ाने के लिए वह मजदूरी करता रहा. जब रिचा का लेखपाल की नौकरी के लिए चयन हो गया तो फिर उसके रुख बदल गए. लेखपाल के पद पर चयन होने के बाद वह उसे छोड़कर चली गई. तब से लेकर अब तक वह लौटकर घर नहीं आई है. 

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अपनी पत्नी को पाने के लिए वह अधिकारी से लेकर पुलिस तक के चक्कर लगा चुका है, लेकिन पत्नी नहीं मिली. यहां तक आज जब उसे पता चला कि उसकी पत्नी को कलेक्ट्रेट में नियुक्ति पत्र मिल रहा है, तो वह उसकी एक झलक पाने के लिए वहां पहुंच गया, लेकिन वहां भी खाली हाथ लौटना पड़ा. वह नियुक्ति पत्र लेकर छिपते हुए निकल गई, लेकिन उससे मुलाकात नहीं की. 

 

 

नीरज ने सुनाई अपनी दास्तान

 नीरज ने कहा, "मैं 18 जनवरी से परेशान हूं. मेरी धर्म पत्नी जो रिचा सोनी विश्वकर्मा है, वह लेखपाल बन गई है. इसलिए मुझे छोड़कर चली गई है. अपनी पत्नी के लिए हर जगह जा चुका हूं, लेकिन वह नहीं मिल रही है. जब उसे लेखपाल का नियुक्ति पत्र मिलना था, तो मैं कलेक्ट्रेट गया, उसे खोजने के लिए हर जगह देखा, लेकिन वह नहीं मिली. वह नियुक्ति पत्र लेकर चली गई. मैंने उसके लिए हर कुछ किया.    

 

 

नीरज ने आगे कहा, "हमने पढ़ाने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना किया. हम कारपेंटर है. जो चहा उसने किया. हम 400-500 रुपये प्रतिदिन कमाते थे. उसी से उसकी पढ़ाई कराई, कई बार तो कर्ज भी लेना पड़ा. आज हम दिन रात उसे याद करते हैं. रात में नींद भी नहीं आती है. आज वह कहती है कि हमारी शादी नहीं हुई है. हमारे पास शादी की फोटो और प्रमाणपत्र है, क्या यह फर्जी है. हमारी ओरछा में शादी हुई थी, फरवरी 2022 में. हम काफी परेशान हैं, उसके लिए दर-दर भटक रहे हैं.
 

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