3 पीढ़ी तक लड़ जीता 16 लाख का केस और सील कराया बिजली विभाग का दफ्तर! साहू परिवार की गजब कहानी

विनय कुमार सिंह

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Ghazipur Viral News: अक्सर आपने सुना होगा कि लोगों पर बिजली विभाग का बकाया होता है और उसकी वसूली होती है. लेकिन गाजीपुर के गुप्ता परिवार की कहानी इससे बिल्कुल जुदा है. इस परिवार ने पीढ़ियों तक लड़ाई लड़कर न सिर्फ बिजली विभाग के खिलाफ केस जीता बल्कि कोर्ट से उनका दफ्तर भी सील करा दिया. गाजीपुर में न्यायालय ने उपभोक्ता के पक्ष में बड़ा फैसला करते हुए बिजली विभाग का मुख्य दफ्तर ही सील करने का आदेश दे दिया. इसके बाद कोर्ट अमीन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ बकायदा ढोल बजाकर कुर्की कर दी. इस दौरान इस विशालकाय बिजली विभाग के दफ्तर में विभागीय लोग नदारद रहे.

मामला लगभग 44 साल पुराना है. बिजली विभाग की मनमानी के खिलाफ एक उपभोक्ता ने न्यायालय से ऐसी लड़ाई लड़ी कि आज उनकी तीसरी पीढ़ी के पक्ष में फैसला सुना दिया गया. गाजीपुर में न्यायालय के आदेश से बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय को सील कर दिया गया है. अपर सिविल जज(जू. डी.) के आदेश से बिजली विभाग के लालदरवाजा स्थित कार्यालय को कोतवाली पुलिस ने सील कर दिया. 

 

 

पूरी कहानी जानिए

सदर कोतवाली क्षेत्र के स्टेशन रोड निवासी बाबूलाल के दुकान परिसर की बिजली 44 साल पहले बिजली विभाग ने काट दी थी. यहां से बाबूलाल की आटा चक्की समेत अन्य कई चीज संचालित होती थीं. कोर्ट ने बिजली नहीं काटने का आदेश जारी कर रखा था. बावजूद इसके बिजली विभाग ने बिजली काट दी थी. बाबूलाल ने बिजली विभाग की इस मनमानी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर रखा थाय. कोर्ट ने बिजली विभाग को 16 लाख 48 हजार के भुगतान का आदेश बिजली विभाग को दिया था. 

कोर्ट के आदेश के बाद भी बिजली विभाग ने वादी को पैसों का भुगतान नहीं किया और फिर कोर्ट ने अधीक्षण अभियंता कार्यालय को ही सील करने का आदेश दे दिया. अधीक्षण अभियंता कार्यालय में ही बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता के अलावा दो अधिशाषी अभियंता समेत कई अधिकारी बैठते हैं. कोर्ट अमीन सदर दिलीप यादव कोतवाली पुलिस के साथ अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुंचे और मुनादी करवा उसे सील करवा दिया. 

 

 

पीड़ित बाबूलाल के पोते गणेश कुमार साहू ने बताया कि 1980 से मामला चल रहा था. 1980 से लेकर अबतक क्षतिपूर्ति का आदेश न्यायालय ने दिया है जो कि कुल 16 लाख 48 हजार रुपया है. विभाग को न्यायालय ने कई बार पैसों के भुगतान का आदेश दिया था लेकिन बिजली विभाग ने इसको अनसुना कर दिया. इसी का नतीजा है कि ये कार्रवाई हुई है.

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