क्या होती है ट्रेंकुलाइजर गन जिसकी मदद से बहराइच में वन विभाग ने भेड़िए को पकड़ा?

यूपी तक

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बहराइच की महसी तहसील में आतंक का पर्याय बने आदमखोर भेड़ियों के हमलों से ग्रामीणों के बीच डर का साया है. वन विभाग की टीम आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं. इसका नतीजा यह है कि गुरुवार सुबह टीम ने एक और नरभक्षी भेड़िए को पकड़ लिया. अब तक कुल चार भेड़िए पकड़ लिए गए हैं. बता दें कि बहराइच में चौथे भेड़िए को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने  ट्रेंकुलाइजर गन का इस्तेमाल किया. खबर में आगे जानिए क्या होती है ट्रेंकुलाइजर गन और कैसे इसकी मदद से भेड़िए को पकड़ा गया. 

कैसे पकड़ा गया भेड़िए को?

वन विभाग के डॉक्टर ने यूपी तक को बातचीत में बताया, "एक तरफ से जाल लगाया. तीन तरफ से हाका लगाकर हमने भेड़िए को जाल में पकड़ा. उसके बाद बेहोश किया और उठाकर ले आए. ट्रेंकुलाइजर गन की मदद से हमने डायरेक्ट इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन देने के बाद भेड़िए ने उल्टी की. ट्रेंकुलाइजर से दवा देने के बाद वॉमिटिंग के चांस रहते हैं."

क्या होती है ट्रेंकुलाइजर गन?

 

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ट्रेंकुलाइजर गन एक विशेष प्रकार की गन होती है, जो जानवरों को अस्थायी रूप से बेहोश करने के लिए उपयोग की जाती है. इस गन में दवा से भरी डार्ट (सूई) लगाई जाती है, जिसे जानवर के शरीर में दागा जाता है. डार्ट के जरिए शरीर में पहुंचने वाली दवा मांसपेशियों को शिथिल कर देती है और जानवर को नींद जैसी स्थिति में पहुंचा देती है. यह प्रक्रिया बेहद सावधानी से की जाती है ताकि जानवर को कोई स्थायी नुकसान न हो. 

 

 

क्या होता है ट्रेंकुलाइजर गन का मुख्य उद्देश्य?

ट्रेंकुलाइजर गन का मुख्य उद्देश्य ऐसे जानवरों को पकड़ना है, जिन्हें काबू करना मुश्किल होता है और जिनसे इंसानों या अन्य जानवरों को खतरा हो सकता है. यह गन जानवरों को नियंत्रित करने का एक मानवतावादी तरीका है, जिससे बिना हिंसा के उन्हें सुरक्षित रूप से उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जा सके. इस गन का इस्तेमाल वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए किया जाता है. 


 

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