MahaKumbh 2025 :प्रयागराज में क्यों मनाया जाता है महाकुंभ? देवता, असुर, गरुण और अमृत से जुड़ी है ये पौराणिक कहान
MahaKumbh 2025 Significance: संगम नगरी में आगामी महाकुंभ मेले को लेकर उत्साह और तैयारियां चरम पर हैं. महाकुंभ मेले में इस बार 40 करोड़ से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है. वैसे तो प्रयागराज में हर साल माघ मेला लगता है, लेकिन अर्ध कुंभ और Mahakumbh मेले की धार्मिक महत्ता और क्रेज कुछ खास ही है.
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Maha Kumbh 2025 Significance : संगम नगरी में आगामी महाकुंभ मेले को लेकर उत्साह और तैयारियां चरम पर हैं. महाकुंभ मेले में इस बार 40 करोड़ से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है. वैसे तो Prayagraj में हर साल माघ मेला लगता है, लेकिन अर्ध कुंभ और महाकुंभ मेले की धार्मिक महत्ता और क्रेज कुछ खास ही है. अर्धकुंभ हर 6 साल पर और Mahakumbh 12 साल पर लगता है. क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ की महत्ता क्या है और इसके पीछे की पौराणिक कहानी क्या है? आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
साल 2025 में Mahakumbh का आयोजन Uttar Pradesh के पवित्र शहर प्रयागराज में होने जा रहा है. यह पावन अवसर हर 12 साल में एक बार आता है और इस दौरान श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान का विशेष अवसर मिलता है. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य के पापों का क्षय होता है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है.
कुंभ मेले का पौराणिक इतिहास
History of Mahakumbh Mela: कुंभ मेले की शुरुआत की कहानी पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो उस मंथन से अमृत का घट निकला. अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसके चलते भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को अमृत के घड़े की सुरक्षा का काम सौंप दिया. गरुड़ जब अमृत को लेकर उड़ रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों – Prayagraj, Haridwar, Ujjain और Nasik में गिर गईं. तभी से हर 12 वर्ष बाद इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच 12 दिवसीय युद्ध हुआ, जो मानव वर्षों में 12 वर्षों के बराबर माना गया है. इसलिए, हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है.
महाकुंभ 2025: शाही स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां
Mahakumbh 2025 Sanan Tithi: प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी, और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ होगा. इस महाकुंभ के शाही स्नान की प्रमुख तिथियां यहां देख लीजिए:
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14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 - बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 - माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि
इन शाही स्नानों में साधु-संत और श्रद्धालु शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.
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महाकुंभ 2025 की तैयारियां
Preparation of Mahakumbh 2025:महाकुंभ के भव्य आयोजन को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आयोजन के लिए 2,600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. लगभग 40 करोड़ लोगों के इस महाकुंभ में शामिल होने की संभावना है, जिसके लिए सुरक्षा, यातायात, और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकार ने व्यवस्था को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां की हैं.
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
Spiritual Significance of Mahakumbh:महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत संगम है, जो लोगों को अपनी आस्था को पुनः जागृत करने और ईश्वर के निकटता का अहसास दिलाने का अवसर प्रदान करता है. प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का यह आयोजन सभी श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रहा है, जो आस्था, एकता और श्रद्धा के इस अद्वितीय पर्व में भाग लेकर आत्मिक शांति का अनुभव करेंगे.
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