82 वर्षीय कैदी के आए रिहाई के आदेश, पर नहीं चला उसके परिवार का पता, फिर सामने आई ये कहानी

आमिर खान

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Rampur News: रामपुर में एक बुजुर्ग कैदी को जेल से रिहा करवाने के लिए रामपुर पुलिस ने जो किया, उसकी हर तरफ चर्चा हो रही है और पुलिस के इस गुड वर्क की जनता तारीफ भी कर रही है. दरअसल रामपुर की जिला जेल में 83 साल के बुजुर्ग कैदी रमजानी 2007 से जेल में बंद थे. बुजुर्ग कैदी से मिलने पिछले कुछ सालों से कोई नहीं आ रहा था. अब कैदी की रिहाई का फरमान आया. मगर कैदी के सामने सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि वह जुर्माने के 24 हजार रुपये कहां से लाए और जेल से रिहा होने के बाद कहां जाए? इसके बाद पुलिस ने जो किया, उसे जान आप भी पुलिस को सेल्यूट करेंगे. 

दरअसल रामपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें पुलिसकर्मी एक बुजुर्ग कैदी के लिए किसी मसीहा से कम साबित नहीं हुए हैं. दरअसल कैदी रमजानी मुजफ्फरनगर जनपद का रहने वाला था और वह एक मामले में साल 2007 से जेल में अपने जुर्म की सजा काट रहा था. उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसके गुनाहों की सजा पूरी हुई. मगर 24 हजार रुपए का जुर्माना वसूलने के बाद ही रिहाई का फरमान आया. साल 2016 से भी उसके परिजनों का कोई अता-पता नहीं था. बुजुर्ग का जुर्माना देना भी असंभव था. ऐसी स्थिति में जेल प्रशासन के लिए उसकी रिहाई एक चुनौती बन चुकी थी. 

फिर जेल के पुलिसकर्मियों ने उठाया जिम्मा

मिली जानकारी के मुताबिक, बुजुर्ग कैदी की समस्या को हल करने का जिम्मा जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य, जेलर कुश कुमार और डिप्टी जेलर विनय प्रताप सिंह ने उठाया. मिली जानकारी के अनुसार, इन पुलिसकर्मियों ने 4 समाजसेवियों से संपर्क किया और उसकी जुर्माने की रकम का इंतजाम करवाया. जुर्माने की रकम भरने के बाद बुजुर्ग कैदी का जेल से बाहर आने का रास्ता तो साफ हो गया. मगर अब पुलिस के सामने ये चुनौती थी कि जेल से बाहर आने के बाद बुजुर्ग जाएगा कहां? 

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बताया जा रहा है कि साल 2016 के बाद से बुजुर्ग कैदी से मिलने उसका कोई परिजन नहीं आया था. काफी कोशिशें की गई. मगर बुजुर्ग के परिजनों का कुछ अता पता नहीं चला, जिससे पुलिसकर्मी चिंता में आ गए.

और खोज निकाला बुजुर्ग कैदी का परिवार

काफी खोजने के बाद भी जब बुजुर्ग कैदी का परिवार नहीं मिला तो जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने परिजनों को खोजने का जिम्मा उठाया. इसमें उनका साथ जेलर कुश कुमार और डिप्टी जेलर विनय प्रताप सिंह ने दिया. पुलिसकर्मियों ने बुजुर्ग कैदी का परिवार खोजने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी. इसमें मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और हापुड़ की पुलिस ने भी मदद की. तब जाकर बुजुर्ग कैदी के परिजनों का पता चला और उसके परिजनों से संपर्क किया गया. तब जाकर बुजुर्ग कैदी को रिहा किया गया और उसको उसके परिवार से मिलवाया गया. 

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पुलिस ने क्या बताया

इस मामले पर जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने बताया, “हमारे यहां यह एक बंदी थे, जिनका नाम रमजानी था. इनके पिता का नाम हकीमुद्दीन था. इनकी उम्र करीब 83 वर्ष थी. ये कई मामलों में सजा काट रहे थे. इनकी मूल सजा इस साल मई में पूरी हो गई थी. मगर इनके ऊपर 27,000 रुपए का जुर्माना भी था. जेल प्रशासन ने रामपुर के समाजसेवियों की मदद से इनके जुर्माने की रकम अदा की. फिर कैदी के परिजनों को खोजकर, उन्हें बुलाकर इनकी रिहाई की गई और इन्हें परिजनों के साथ भेज दिया गया.”

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