सरस्वती शिशु मंदिर से की पढ़ाई, चंद्रयान-3 में निभाई अहम भूमिका, ये है अंकुर गुप्ता की कहानी

अमित तिवारी

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Etawah News: चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) की सफलता के बाद देश ने इसरो के वैज्ञानिकों को सिर आँखों पर बैठा लिया है. पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों पर फर्क महसूस हो रहा है. चंद्रयान-3 में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिकों के घरों में भी खुशियां मनाई जा रही हैं. आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन में इटावा के कस्बा बसरेहर के रहने वाले अंकुर गुप्ता ने भी अहम रोल निभाया है. बता दे कि अंकुर गुप्ता इसरो में वैज्ञानिक हैं और वह चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े हुए थे.

यान के डिजाइन में निभाई अहम भूमिका 

बता दें कि अंकुर गुप्ता ने चंद्रयान-3 के कॉम्पोनेंट की बनावट और वजन के डिजाइन में अपनी अहम भूमिका निभाई है. चंद्रयान-3 के सफल होते ही वैज्ञानिक अंकुर गुप्ता के घर पर जबरदस्त जश्न मनाया गया और जमकर आतिशबाजी की गई. परिवारजनों ने एक-दूसरे को मिठाइयां भी खिलाई. इस दौरान कस्बे के लोगों ने अंकुर गुप्ता के पिता सूरज प्रकाश गुप्ता का फुल माला पहनाकर उनका सम्मान भी किया.

पिता की है छोटी सी दुकान

साइंटिस्ट अंकुर गुप्ता के पिता सूरज प्रकाश गुप्ता छोटे से कस्बे बसरेहर में छोटी सी कपड़े की दुकान चलाते हैं. उनके तीन बेटे हैं, जिसमें तीसरे नंबर का सबसे छोटे बेटा अंकुर है. पिता ने बताया कि अंकुर शुरू से ही वैज्ञानिक बनना चाहता था. उसका व्यापार में मन नहीं लगता था.  

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सरस्वती शिशु मंदिर से हुई है पढ़ाई

बता दें कि अंकुर की प्रारंभिक शिक्षा कस्बे के ही सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय से हुई है. इसके बाद अंकुर ने कुंवर मनभावती जन सहयोगी इंटर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद अंकुर ने गोरखपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया. इसके बाद अंकुर ने प्रयागराज के एंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक किया. इसके बाद अंकुर गुप्ता ने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की डिग्री हासिल की. फिर वह साल 2012 में बतौर वैज्ञानिक इसरो से जुड़ गए.

बता दें कि अंकुर ने सन 2012 में इसरो में मंगलयान मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी. अब चंद्रयान-3 मिशन में अपनी अहम भूमिका निभाने के बाद अंकुर गुप्ता के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई है. अंकुर के परिवार और कस्बे में जश्न बन रहा है.

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क्या बोले टीचर

अंकुर गुप्ता के प्रारंभिक शिक्षा देने वाले सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य प्रभु दयाल ने बताया, “वह आज अपने आप को बहुत ही गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि उनके शिष्य ने नाम रोशन किया है. अंकुर पढ़ने में मेधावी था. उसे विज्ञान में रुचि थी और वह वैज्ञानिक बनना चाहता था.

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