श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी विवाद पर क्या है मुस्लिम पक्ष की दलील? इसे 7 पॉइंट्स में समझिए

संजय शर्मा

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Gyanvapi Controversy: एक बार फिर ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी विवाद विवाद चर्चा में है. स्थानीय अदालत के उस आदेश के खिलाफ सुनवाई चल रही है, जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था. इस आदेश में कहा गया था कि साइंटिफिक यानी आधुनिकतम प्रविधि से ढांचे को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की टीम सर्वे करे. मुस्लिम पक्ष को इसपर ऐतराज है.

मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर आने से पहले अपने समक्ष आई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की.

ऐसे में यह जानना रोचक है कि मुस्लिम पक्ष की दलील क्या है. आइए इसे 7 पॉइंट में समझने की कोशिश करते हैं. मस्जिद कमेटी ने दलील दी है कि…

1. 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया.

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2. ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है.

3. कोर्ट को ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर के सर्वेक्षण के दौरान भी परिसर स्थित वजूखाना से मिली आकृति शिवलिंग नहीं बल्कि पानी का फव्वारा थी.

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4. राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थीं. अयोध्या रामजन्म भूमि स्थित राम मंदिर का उदाहरण और हवाला ज्ञानवापी के मामले में नहीं दिया जा सकता है. ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे विश्वेश्वर भगवान का मंदिर होने की बात की जा रही है वो मनगढ़ंत है.

5. हिंदू पक्ष की ये कोरी कल्पना है कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है. कल्पना के आधार पर ASI सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

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6.जिला जज की कोर्ट से ज्ञानवापी परिसर का ASI से आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वे का आदेश जारी किया जाना गैरकानूनी है.

7. हिंदू पक्ष का दावा है कि प्लॉट नंबर 9130 पर ही 1585 में राजा टोडरमल ने मंदिर का निर्माण कराया और 1669 में उसे तोड़ दिया गया. उसी मंदिर में देवी श्रृंगार गौरी, हनुमान और गणेश भगवान की पूजा की मांग महिलाएं कर रही हैं.

मुस्लिम पक्षकारों ने इस दावे को भी सिरे से गलत बताया है. काशी के इतिहास के जानकारों के मुताबिक काशी में गौरी के नौ मंदिर हैं जो इस अविमुक्तेश्वर क्षेत्र में विश्वेश शिव की शक्तियों की प्रतीक हैं. प्रथम नवरात्रि को मुखनिर्मलिका गौरी, दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी , तीसरे दिन सौभाग्य गौरी, चौथे दिन श्रृंगार गौरी, पांचवें दिन विशालाक्षी गौरी, छठे दिन ललिता गौरी, सातवें दिन भवानी गौरी, आठवें दिन मंगला गौरी और नवें दिन महालक्ष्मी गौरी की पूजा होती है. ये सभी गौरी विश्वनाथ जी के मंदिर को घेरे हुए सभी दिशाओं में स्थित हैं.

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