Ram Temple: वह किस्सा जब लालू यादव ने रोक दिया था आडवाणी का रथ, गिर गई थी देश की सरकार

रजत कुमार

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का दिन हर लिहाज़ से ऐतिहासिक बनने जा रहा है. राम लला के प्राण प्रतिष्ठा होते ही 22 जनवरी का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा. वहीं इस दिन के बाद आज़ाद भारत में सबसे लंबे अहम कानूनी मुकदमों में से एक रहे राम जन्मभूमि (Ram Janmbhoomi) मामले में पूर्ण आहूती दे दी जाएगी. राम मंदिर के इस इतिहास की दास्तां का एक सिरा बिहार से होकर गुजरता है. दास्तानों के इस हिस्से में कई किरदार हैं. इनमें खास तौर पर शामिल है एक रथ, एक रथी और एक है रथ को रोकने वाला.

जब थम गए रथ यात्रा के पहिए

बता दें कि 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने और उसी साल सितंबर में लाल कृष्ण आडवाणी राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ यात्रा पर निकले. 30 अक्टूबर तक रथ यात्रा अयोध्या पहुंचनी थी. 23 अक्टूबर को बिहार के समस्तीपुर में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी गई. उन्हें समस्तीपुर के सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया. लालकृष्ण आडवाणी के गिरफ्तारी के पहले लालू यादव ने गांधी मैदान में एक रैली की थी, जिसमें उन्होंने भाजपा नेता और इस रथ यात्रा पर जमकर निशाना साधा था.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

गांधी मैदान पर लालू ने की रैली

लालू यादव ने 21 अक्टूबर 1990 को पटना के गांधी मैदान में सांप्रदायिकता विरोधी रैली की. इस रैली में बिहार की जनता को संबोधित करते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि, ‘देशहित में अगर इंसान ही नहीं रहेगा तो मंदिर में घंटी कौन बजाएगा? जब इंसानियत पर खतरा हो, इंसान नहीं रहेगा तो मस्जिद में कौन इबादत देने जाएगा.’ लालू ने उस वक्त कहा था, ’24 घंटे मैं निगाह रखा हूं. हमने अपने शासन की तरफ से पूरा उनकी (आडवाणी की) सुरक्षा का भी व्यवस्था किया, लेकिन दूसरी तरफ हमारा सवाल है अगर एक नेता और एक प्रधानमंत्री का जितना जान का कीमत है, उतना एक आम आदमी का जान का भी कीमत है.’

गिरफ्तारी के बाद गिर गई सरकार

इस रैली में लालू यादव आगे कहते हैं कि, ‘हम अपने राज्य में दंगा फसाद फैलने को नहीं देंगे. जहां फैलाने का नाम लिया और जहां बखेड़ा खड़ा करने का नाम लिया, फिर चाहे राज रहे या राज चला जाए लेकिन हम इस पर कोई समझौता करने वाले नहीं है.’ लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के कारण ही तब बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. जिससे वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी. वीपी सरकार के मंडल अस्त्र के खिलाफ मंदिर बीजेपी के लिए ब्रहमास्त्र था. उस घटना ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी थी. वीपी सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस के सहयोग से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT