प्रतीक और अखिलेश को अपनी दों आंखें बताने वाली मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता की कहानी

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समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की पत्नी साधना गुप्ता (Sadhna Gupta) का शनिवार सुबह गुरुग्राम में निधन हो गया. साधना गुप्ता मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी (Mulayam second wife) थीं. मुलायम की पहली पत्नी (Mulayam Singh Yadav first wife) और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मां (Akhilesh Yadav mother) मालती देवी का 2003 में निधन हो जाने के बाद ही साधना गुप्ता की असल में मुलायम के साथ सार्वजनिक जीवन में एंट्री हुई थी. इससे पहले कम ही लोगों को साधना गुप्ता की कहानी पता थी. यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवारों में से एक मुलायम परिवार की तल्खियां 2017 चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हो गईं.

अखिलेश यादव के खेमे से आरोप लगे कि साधना गुप्ता चाचा शिवपाल यादव संग मिलकर साजिश रच रही हैं. हालांकि तब साधना गुप्ता मीडिया के सामने आईं और उन्होंने इन आरोपों का न सिर्फ खंडन किया बल्कि अपने बेटे प्रतीक और सौतेले बेटे अखिलेश यादव को अपनी दो आंखें भी कहा.

आइए हम आपको मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के जीवन की कुछ अनसुनी कहानियां बताते हैं. वह कहानी जिसमें परिवार के प्रेम और समर्पण के साथ अपने और पराए के भेद भी हैं. वह कहानी जो यह बताती है कि सियासी लोगों की भी एक निजी जिंदगी होती है और वह कमोबेश ऐसी ही होती है, जैसी हम अपने आसपास देखते हैं.

जानें कब पहली बार मुलायम की जिंदगी में आईं साधना गुप्ता

साधना गुप्ता इटावा जिले की बिधूना की रहने वाली थीं. बिधुना के कमलापति की बेटी साधना नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही थीं, लेकिन उनकी दिलचस्पी राजनीति में भी थी. इसी दिलचस्पी की वजह से वह राजनीतिक सभाओं में जाती थीं. कहते हैं कि मुलायम ने पहली बार ऐसी ही किसी राजनीतिक सभा में साधना गुप्ता को देखा था.

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अखिलेश यादव की बायोग्राफी ”बदलाव की लहर” लिखने वाली सुनीता एरन ने साधना के बारे में लिखा है. उनके मुताबिक मुलायम अपनी मां की वजह से साधना गुप्ता के करीब आए. असल में मुलायम सिंह यादव की मां मूर्ति देवी बीमार थीं और मेडिकल कॉलेज में एडमिट थीं. एक नर्स अनजाने में उन्हें कोई गलत इंजेक्शन लगाने वाली थी कि वहां पर मौजूद साधना गुप्ता की नजर पड़ गई. उन्होंने नर्स को रोक दिया और ऐसा कहा गया कि उनका यह कदम मुलायम की मां के लिए लाइफ सेविंग रहा.

मुलायम सिंह यादव साधना से काफी प्रभावित हुए और दोनों के रिश्ते की शुरुआत हुई. लेखिका के मुताबिक तब अखिलेश यादव स्कूल में पढ़ते थे. आपको बता दें कि साधना गुप्ता की पहले शादी भी हो चुकी थी. 4 जुलाई 1986 को फर्रुखाबाद के चंद्र प्रकाश गुप्ता (Chandra Prakash Gupta) से साधना गुप्ता की शादी हुई थी. इसके बाद 7 जुलाई 1987 को प्रतीक यादव का जन्म हुआ था. इसके 2 साल बाद ही साधना और चंद्रप्रकाश अलग हो गए थे. इसके बाद मुलायम और साधना की नजदीकियां बढ़ गईं. 2003 में जब मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी का निधन हो गया तब 23 मई 2003 को उन्होंने साधना को अपनी पत्नी का दर्जा दिया.

मुलायम पर जब आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे तब आधिकारिक रूप से सबने जाना साधना का नाम

हालांकि साधना गुप्ता के साधना यादव बनने की बात सार्वजनिक नहीं हुई. इसकी कहानी जुड़ी है मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में लगे एक आरोप से, जिसे वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने लगाया था. असल में सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2 जुलाई 2005 को मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया. इसमें मुलायम से उनकी संपत्ति को लेकर सवाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. 2007 में रिपोर्ट आई तो सबको साधना गुप्ता और प्रतीक के बारे में पता चला. यह भी पता चला कि 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल के फॉर्म में मुलायम सिंह यादव का पता लिखा था. गार्जियन के नाम की जगह मुलायम सिंह का नाम दर्ज था. मुलायम सिंह ने आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट की शपथ पत्र दिया जिसमें मुलायम ने लिखा कि मैं स्वीकार करता हूं साधना गुप्ता मेरी पत्नी और प्रतीक मेरा बेटा है.

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साधना गुप्ता को खुद के लिए लकी मानते थे मुलायम

ऐसा माना जाता है कि साधना गुप्ता मुलायम सिंह के जीवन में 1980 के दशक के अंत में तभी आ गईं जब वह सीएम बने. साधना के आने के बाद सीएम पद मिला, इसलिए कहते हैं कि मुलायम उन्हें अपने लिए काफी लकी मानते थे. हालांकि मुलायम से जब साधना गुप्ता के रिश्ते सार्वजनिक हुए तो माना जाता है कि परिवार में फूट के कथित बीज तभी पड़ने शुरू हुए.

2017 के चुनावों से पहले जब चौखट से बाहर ही घर की लड़ाई

दबी जुबान से भले मुलायम परिवार में फूट के चर्चे होते रहे हों, लेकिन दुनिया ने इस लड़ाई का असल रूप 2016 में देखा. जब पार्टी पर कब्जे को लेकर अखिलेश और शिवपाल की भिड़ंत जगजाहिर हो गई. उस दौरान अखिलेश के करीबी नेता उदयवीर सिंह मुलायम सिंह यादव को एक चिट्ठी लिखी. तब उदयवीर सिंह एमएलसी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने मुलायम सिंह यादव को बताया कि 2012 में जब अखिलेश सीएम बन रहे थे तब साधना गुप्ता ने साजिश रची थी.

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हालांकि तब जब यह चिट्ठी बम फूटा तब साधना यादव ने न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू दिया. उन्होंने यह जरूर कहा कि नेताजी का अपमान नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि उनकी पार्टी जीते और अखिलेश यादव सीएम बनें. तब साधना ने यह भी कहा था कि वह चाहती हैं कि प्रतीक यादव (उनके बेटे) भी राजनीति में आएं. शिवपाल बनाम अखिलेश की लड़ाई में साधना शिवपाल के साथ खड़ी नजर आईं. उन्होंने तब शिवपाल की काफी तारीफ की थी.

साधना यादव के जीवन में उनके बेटे प्रतीक तो राजनीति में नहीं आ पाए लेकिन उनकी बहू अपर्णा यादव ने अपना सबसे बड़ा राजनीतिक कदम जरूर उठा लिया. अपर्णा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बीजेपी का दामन थाम लिया. हालांकि अबतक अपर्णा को बीजेपी से कुछ खास हासिल नहीं हुआ है लेकिन शायद यह परिवार की अंदर की लड़ाई ही थी, जिसकी वजह से साधना से जुड़े फैमिली ट्री को अपने नए ऑप्शन तलाशने पड़े.

इनपुट: आशीष श्रीवास्तव, समर्थ श्रीवास्तव

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