समाजवादी पार्टी से निकाली गईं तो ऋचा सिंह का फूटा गुस्सा, सीधे अखिलेश यादव को ही लपेट लिया

अमीश कुमार राय

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समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित होने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं ऋचा सिंह ने इस मामले में सपा चीफ अखिलेश यादव को ही जमकर सुना दिया है. आपको बता दें कि गुरुवार को सपा ने ऋचा सिंह के साथ रोली तिवारी मिश्रा को पार्टी से निष्कासित कर दिया.

रामतरितमानस की चौपाई को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों से उपजे विवाद के बाद ये दोनों महिला नेताएं अपनी पार्टी की लीडरशिप के खिलाफ ही हमलावर थीं. ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी विरोधी रुख दिखाने और पार्टी लीडरशिप पर निशाना साधने की वजह से ही सपा ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

जानें ऋचा सिंह ने अखिलेश यादव को लेकर क्या कहा

पार्टी की तरफ से ऐक्शन लिए जाने के बाद ऋचा सिंह का गुस्सा फूट पड़ा है. ऋचा सिंह ने ट्वीट कर समाजवादी पार्टी और अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. ऋचा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘लोकतांत्रिक और सामाजिक न्याय विरोधी कार्यवाही. बिना कारण बताओ नोटिस दिए व आधार बताये समाजवादी पार्टी की एक तरफा और अलोकतांत्रिक कारवाई. बिना दूसरे पक्ष को सुने judgement को कंगारू कोर्ट कहते हें. प्राकृतिक न्याय और सामाजिक न्याय विरोधी पार्टी, समाजवाद पार्टी.’

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उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘महिलाओं का अपमान करने वाले लंपटों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जी डीजीपी ऑफिस पहुंच जाते हैं और महिलाओं के-जन अधिकारों के लिये संघर्ष करने वाली महिलाओं को बिना कारण बताए निष्कासित कर दिया जाता है. महिला विरोधी चेहरा समाजवादी पार्टी.’

ऋचा सिंह ने इन दोनों ट्वीट में अखिलेश यादव को टैग भी किया है. उधर रोली तिवारी मिश्रा ने भी इस निष्कासन के बाद उनके समर्थन में किए गए कई सारे ट्वीट्स को रीट्वीट करते हुए अपना विरोध जाहिर किया है.

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ऋचा सिंह यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने अपने ट्वीट्स में लोहिया का जिक्र करते हुए भी सपा पर निशाना साधा. ऋचा ने लिखा, ‘समाजवाद का तात्पर्य है किसी के साथ भी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना लेकिन आज जिस तरीके से जाति और लिंग के आधार पर मेरे साथ भेदभाव किया गय, समाजवादी पार्टी ने लोहिया जी के समाजवाद का गला घोंट दिया. “महिलाएं “ताड़न” की अधिकारी इसको स्वयं समाजवादी पार्टी ने चरितार्थ किया है. आज अगर लोहिया जी होते जो रामायण मेले के आयोजन की बात किया करते थे, समाजवादी पार्टी के द्वारा लोहिया जी का भी निष्कासन कर दिया जाता.’

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