हरियाणा में कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हुई पार्टी! BSP ने आंकड़ों से बताया कैसा रहा चुनावी प्रदर्शन

कुमार अभिषेक

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BSP Akash Anand
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Mayawati News: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे अब सबके सामने हैं. यहां भाजपा लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रही है. मगर नतीजों में यह भी स्पष्ट है कि हरियाणा में बहुजन सामज पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. बसपा यहां एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई है. दूसरी तरफ बसपा का दावा है हरियाणा में पार्टी कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हुई है. बसपा के अनुसार, उसका वोट प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में यहां बेहतर हुआ है. 

बसपा ने क्या आंकड़ा पेश किया?

बहुजन समाज पार्टी का दावा है कि इस चुनाव में 36 विधानसभा की सीटों पर जहां बीएसपी प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, वहां बसपा को 252671 वोट मिले. जो इन सीटों पर डाले गए कुल वोट का 4.51% है. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 4.14% वोट मिला था और तब बसपा ने 82 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसके अतिरिक्त बसपा ने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन इस बार विधानसभा में पार्टी का रहा है. 

बसपा के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव में उसे 1.28 प्रतिशत वोट हासिल हुआ, जबकि इस विधानसभा चुनाव में 1.82 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं. पिछले दो चुनाव में बसपा को मिले वोट और प्रतिशत के आधार पर पार्टी ने दावा किया है कि उसका आधार पिछले चुनाव से ज्यादा बढ़ा है. यह सच है कि बसपा एक सीट नहीं जीत पाई. मगर एक सीट पर नंबर दो और 7 सीटों पर नंबर 3 रही है. 

 

हालांकि, मायावती ने साफ कहा कि बसपा को इंडियन नेशनल लोकदल से हरियाणा में गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं हुआ. मायावती ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि अब आगे से किसी भी क्षेत्रीय दल से कोई गठबंधन बसपा नहीं करेगी. मार  हरियाणा बसपा का दावा है कि पार्टी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है और खासकर पिछले चुनाव की तुलना इस बार वोट शेयर बढ़ा है, घटा नहीं.

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दरअसल, मायावती का अब किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन नहीं करने के ऐलान के पीछे की वजह भी यह है कि इस बार  दलितों का वोट आईएनएलडी को तो मिला, लेकिन जाटों का वोट बसपा को नहीं मिला. नतीजे के तुरंत बाद मायावती ने जाटों के वोट नहीं मिलने पर खूब खरी खोटी सुनाई है. बसपा के मुताबिक पार्टी का अलग से 36 सीटों का वोट शेयर को देखा जाए तो वह पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर रहा है. मायावती का तर्क है कि अगर बसपा अकेले लड़ती है, तो वह क्षेत्रीय दलों से  बेहतर रहती.

 

आकाश आनंद को मिली थी जिम्मेदारी

दरअसल, आकाश आनंद को हरियाणा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी. हरियाणा में गठबंधन से लेकर चुनाव प्रचार तक और कैंडिडेट सिलेक्शन से लेकर चुनाव की रणनीति तक सब कुछ आकाश आनंद के हाथ में था. मगर बसपा इस बार एक सीट जीतते-जीतते हार गई. 

बसपा इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही:

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अटेली- अत्तर लाल - 54274

बसपा जिन सीटों पर तीसरे नंबर पर रही, वे इस प्रकार हैं:

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  • साधौरा- बृजपाल- 53496
  • नारायणगढ़-हरविलास सिंह- 27440
  • रादौर- धर्मपाल तिगरा- 11182
  • शाहबाद- चंद्रभान चौहान- 1638
  • कैथल- अनिल तंवर- 3428
  • असंध- गोपाल सिंह- 27355
  • इंद्री- सुरेन्द्र उड़ाना- 6612
  • बड़कल- मनोज चौधरी- 2493

बहरहाल बसपा बेशक बेहतर परफॉर्मेंस का दावा कर रही हो, लेकिन चुनाव दर चुनाव उसकी हार गंभीर सवाल जरूर खड़े कर रहे हैं. मायावती ने ऐलान कर दिया है कि अब बसपा किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी और सभी चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी. देखना होगा कि अकेले बसपा कितनी बड़ी ताकत बनकर उभर पाती है?
 

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