राम मंदिर-बाबरी विवाद के दौरान खुदाई में ASI के KK मोहम्मद को क्या मिला, जिससे बदल गया केस?
Ram Mandir in Ayodhya: राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान तत्कालीन विवादित परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ से कई बार खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को काफी कुछ मिला था.
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अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होनी है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने के लिए जोरों-शोरों से तैयारियां चल रही हैं. इस बीच एक बार फिर राम मंदिर आंदोलन के इतिहास और उस दौरान की तत्कालीन घटनाओं को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक पुरानी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जो राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले के फैसले में काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ.
बता दें कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान तत्कालीन विवादित परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ से कई बार खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को काफी कुछ मिला था.
हमारे सहयोगी चैनल द लल्लनटॉप ने देश के जाने-माने आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद से इस खुदाई के बारे में विस्तार से बातचीत की थी. केके मोहम्मद वही पुरातत्वविद हैं जिन्होंने बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर के दबे होने की खोज को दुनिया के सामने लाया था.
केके मोहम्मद ने एक पुराने वीडियो में बताया कि वह पहली बार साल 1976-77 में खुदाई के लिए अयोध्या गए थे. इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर साल 2003 में वहां (राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवादित परिसर) खुदाई की गई.
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केके मोहम्मद ने कहा, “साल 1976-77 में जैसे ही मैं अपनी टीम के साथ उस परिसर में गया तो देखा कि मस्जिद के सारे पिलर्स मंदिर के थे. वह पिलर्स करीब 11वीं-12वीं शताब्दी के थे. मस्जिद के लिए इन पिलर्स का इस्तेमाल ही किया गया था. इस दौरान खुदाई में 12 पिलर्स मिले थे.”
केके मोहम्मद के मुताबिक, साल 2003 में विवादित परिसर में खुदाई के दौरान 90 से ज्यादा पिलर्स मिले थे. खुदाई के दौरान ही मंदिर से जुड़ी हुई करीब 216 से ज्यादा देराकोटा की मूर्तियां भी मिली थी. उन्होंने ये भी बताया कि विवादित परिसर में खुदाई के दौरान प्रणाला भी मिला. बता दें कि प्रणाला मंदिरों में होने वाले अभिषेक से जुड़ी एक अहम चीज होती है.
केके मोहम्मद ने दावा किया कि साल 2003 में खुदाई के दौरान शिलालेख भी मिले थे. ये शिलालेख करीब 11वीं-12वीं शताब्दी के थे. उन्होंने आगे दावा किया कि खुदाई के दौरान मिले एक शिलालेख में लिखा हुआ था, “ये मंदिर उस विष्णु को समर्पित है, जिसने 10 सिर वाले का वध किया.”
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