जानिए गोरखपुर की वो ‘पांच खूबसूरत’ जगहें, जहां कम पैसे में परिवार के साथ घूम सकते हैं आप

विनित पाण्डेय

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Gorakhpur News:  उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आपको धर्म और संस्कृति से जुड़े तमाम पर्यटन स्थलों देखने को मिल जाएंगे.  वहीं यूपी के गोरखपुर में कबीर से लेकर भगवान बुध तक से जुड़े ऐतिहासिक स्थल तक स्थल यहां मौजूद हैं. यही नहीं गोरखपुर में नाथ संप्रदाय का पवित्र मंदिर गुरु गोरखनाथ भी है, जो इस शहर की सभ्यता संस्कृति को संजोए हुए हैं .आइए अब हम गोरखपुर जिले में मौजूद उन तमाम धार्मिक स्थल के बारे में आपको बताते हैं, जहां आप कम खर्चे में अपने परिवार के साथ घूम सकते हैं.

गोरखनाथ मंदिर

इस शहर में सबसे प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर है. भगवान शिव की प्रतिमा के साथ यहां कई अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थित हैं. यूपी के अलावा बिहार और उत्तराखंड से लोग गोरखनाथ मंदिर के दर्शन के लिए आता है. मकर संक्रांति पर यहां लाखों भक्तों की भीड़ रहती है. मान्यता है कि गुरु गोरखनाथ ने भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की और इसी स्थान पर दिव्य समाधि लगाई. बाद में इसी स्थान को गोरखनाथ मंदिर बना दिया गया.

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कुसम्ही वन

गोरखपुर रेलवे स्टेशन से नौ किलोमीटर दूर कुसम्ही वन स्थित है. इस घने जंगल के बीच प्रसिद्ध बुढ़िया माई मंदिर है. अक्सर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मंदिर में पूजा-पाठ करने आते हैं. कुसम्ही वन प्राकृतिक नजारों के साथ ही धार्मिक स्थल के लिहाज से भी महत्वपूर्ण स्थल है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. जंगल के अंदर ही एक छोटा चिड़ियाघर है.

रामगढ़ताल

शहर में 1700 एकड़ क्षेत्र में फैले रामगढ़ ताल को रामग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यहां से राप्ती नदी गुजरती है. वर्तमान में यह जगह पूर्वांचल का मरीन ड्राइव बन चुकी है. शाम ढलते ही यहां लाइट एंड साउंड शो और ताल का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. नौका विहार और वाटर स्पोर्ट्स का आनंद भी उठा सकते हैं.

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तारामंडल

ब्रह्मांड में दिलचस्पी रखते हैं तो गोरखपुर में स्थित तारामंडल घूमने जा सकते हैं. यह जगह गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां बच्चों के साथ घूमने जाना मजेदार रहेगा.

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राजकीय बौद्ध संग्रहालय

गोरखपुर जिले में रामगढ़ ताल क्षेत्र में राजकीय बौद्ध संग्रहालय स्थित है, जो पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है. संग्रहालय की स्थापना 1987 में हुई थी. इस म्यूजियम में पाषाण काल से लेकर मध्यकाल तक की पुरातात्विक वस्तुएं हैं. यहां पत्थर की वस्तुएं, कांस्य की मूर्तियां, धातु की वस्तुएं, टेराकोटा, मिट्टी के बर्तन, पांडुलिपियां, हाथी दांत, लघु चित्र और पंचमार्क सिक्के प्रदर्शित होते हैं.

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