UP Police news: उत्तर प्रदेश पुलिस का स्थाई डीजीपी ना होना ब्यूरोक्रेसी के साथ-साथ अब सरकार के ऊपर सियासी हमले के लिए विपक्ष का एक बड़ा मुद्दा भी बन गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा में सदन की कार्रवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल पूछा है कि आखिर योगी आदित्यनाथ की सरकार अब तक यूपी को पर्मानेंट डीजीपी क्यों नहीं दे पाई. उत्तर प्रदेश में स्थाई डीजीपी के नहीं होने पर सपा अध्यक्ष ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर घेरा.
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आइए जरा समझते हैं कि आखिर सबसे बड़े राज्य की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स को बीते 9 महीने से स्थाई डीजीपी क्यों नहीं मिल पाया? क्यों कार्यवाहक डीजीपी से यूपी पुलिस काम चला रही है?
जब मुकुल चौहान को डीजीपी पद से हटाया गया
11 मई 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक उनके पद से हटा दिया. एक दिन, एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार के पास डीजीपी का चार्ज रहा और 13 मई को शासन ने डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया. मुकुल गोयल को डीजीपी से हटाकर डीजी सिविल डिफेंस जैसे पद पर भेजा दिया गया. सरकार ने तर्क दिया कि मुकुल गोयल ने डीजीपी रहते सरकारी आदेशों को नहीं माना और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में शिथिलता बरती.
ये होती है पर्मानेंट डीजीपी के चयन की प्रक्रिया
अमूमन कार्यवाहक डीजीपी बनाने के बाद सरकार स्थाई डीजीपी की नियुक्ति के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजती है. इसमें डीजी पद के अफसरों के नाम का प्रस्ताव होता है. मंत्रालय हर अफसर के कागजों को देखने के बाद 3 सीनियर डीजी स्तर के अधिकारियों का पैनल बनाकर वापस सरकार को भेजता है. सरकार इन 3 नामों में से एक अफसर को स्थाई डीजीपी बनाती है. डीएस चौहान के मामले में ऐसा नहीं हुआ.
अब टेक्निकल पेच को समझिए
शासन ने स्थाई डीजीपी के लिए 4 महीने बाद सितंबर के महीने में प्रस्ताव भेजा. इस प्रस्ताव पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग यानी डीओपीटी ने यूपी सरकार से मुकुल गोयल को हटाने की वजह पूछ ली. यूपी गृह विभाग ने इसका जवाब तो भेज दिया लेकिन डीओपीटी के पास यह जवाब 30 सितंबर के बाद अक्टूबर के महीने में पहुंचा. नियम है कि जिस अफसर के रिटायरमेंट में 6 माह या उससे कम का वक्त होगा वह डीजीपी के पैनल में शामिल नहीं किया जाएगा.
डीएस चौहान 31 मार्च 2023 को रिटायर होंगे. ऐसे में स्थाई डीजीपी के पैनल में डीएस चौहान का नाम शामिल नहीं किया जा सकता. डीएस चौहान तभी स्थाई डीजीपी बन सकते थे जब DOPT पैनल को 30 सितंबर से पहले बना कर भेज देता. डीओपीटी के द्वारा लगाई गई आपत्ति का जवाब ही सितंबर के आखिरी सप्ताह में भेजा गया. डीजीपी का पैनल डीओपीटी की मीटिंग में ही तय होता है. डीओपीटी देश के सभी राज्यों के पुलिस चीफ, पैरामिलिट्री फोर्स के चीफ का भी चयन करता है.
अब आगे क्या…
ऐसे में किसी राज्य के पुलिस चीफ के चयन का शेड्यूल आने में भी लंबी कागजी कार्रवाई लगती है. लिहाजा अब तक डीओपीटी भी डीजीपी के पैनल को लेकर बैठक नहीं कर पाया. माना जा रहा है कि डीएस चौहान के रिटायरमेंट के बाद यूपी सरकार दोबारा डीजीपी का प्रस्ताव भेजेगी. इसके बाद ही उत्तर प्रदेश को स्थाई डीजीपी मिल पाएगा.
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