उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर लोगों में उत्सव का माहौल है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जमकर तैयारियां चल रही हैं. इसी बीच पुजारियों के चयन ने भगवान राम के मंदिर से सामाजिक समरसता का संदेश देने की कोशिश की है.
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राम मंदिर के लिए कुल 24 पुजारियों का चयन किया गया है, जिसमें 2 पुजारी अनुसूचित जाति और एक पिछड़ा वर्ग से संबंध रखते हैं. बता दें कि चयनित 24 पुजारियों को राम मंदिर के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण और महंत सत्यनारायण दास कर्मकांड और पौरोहित्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
हालांकि, इससे पहले भी गैर ब्राह्मण पुजारी नियुक्त किए जा चुके हैं और इतना ही नहीं, दक्षिण भारत में तो ज्यादातर गैर ब्राह्मण पुजारी मंदिरों में तैनात हैं, तो शैव परंपरा के अखाड़ों में भी गैर ब्राह्मणों का वर्चस्व बना हुआ है.
इस बारे में और जानकारी देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि पुजारियों का चयन सिर्फ योग्यता के आधार पर किया गया है, न कि उनकी जाति के आधार पर. स्वामी रामानंद ने कहा था कि जाति-पाति पूछे न कोई, हरि का भजे सो हरि का होई…समाज को संदेश देने के लिए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के साथ ऐसा संदेश दिया है.
गौरतलब है कि अयोध्या के राम मंदिर के लिए 24 पुजारियों को 3 महीने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और ये पुजारी गुरुकुल परंपरा का पालन भी कर रहे हैं. जिसके तहत बाहरी व्यक्ति से संपर्क और मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी वर्जित है. बीते नवंबर महीने में 24 पुजारियों का चयन 14 सवालों के जवाब को हल करके हुआ था. 3 चरणों में इंटरव्यू के बाद 3240 अभ्यर्थियों में से 25 को प्रशिक्षण के लिए चयनित किया गया. बाद में एक ने अपना नाम वापस ले लिया था. ऐसे में कुल 24 पुजारियों को कर्मकांड और पौरोहित्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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