उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में आरटीओ विभाग का एक हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है/ यहां फर्जी नंबर प्लेट लगाकर एक कार 8 सालों तक सड़कों पर फर्राटा भरती रही, लेकिन आरटीओ और ट्रैफिक विभाग को इस बात की भनक तक नहीं लग पाई.
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इन 8 सालों में कार मालिक ने कई बार बीमा भी करवाया और एक्सीडेंट पर बीमा कंपनी से क्लेम भी लिया, बावजूद इसके संबंधित विभाग के जिम्मेदार इससे अनजान बने रहे. फर्जी नंबर प्लेट का खुलासा तब हुआ जब वाहन स्वामी ने हाई सिक्योरिटी प्लेट के लिए आरटीओ विभाग के पोर्टल पर आवेदन किया.
जैसे ही कार के मालिक ने अपने कार का नंबर डाला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई और पता चला कि जिस नंबर प्लेट और नंबर के सहारे वह पिछले 8 सालों से अपनी कार से चल रहे थे, असल में वह कार ही फर्जी नंबर प्लेट के चलते फर्जी हो गई.
इस बात की जानकारी होने के बाद कार के ओनर ने शोरूम के मालिक, तत्कालीन एआरटीओ और दो बाबुओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया है.
गौरतलब है कि तत्कालीन एआरटीओ शंकर सिंह वर्तमान में बांदा जिले में तैनात हैं और संबंधित बाबू शिवानंद अब रिटायर हो चुके हैं. यह मामला तब पकड़ में आया जब सितंबर 2022 में कार के मालिक ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए आवेदन किया. इसके बाद आरटीओ विभाग में यह आवेदन पहुंचा तो वहां से चौंकाने वाली बात सामने आई और कार मालिक को यह बताया गया कि आपका नंबर प्लेट फर्जी है यानी कि 8 साल तक कार मालिक फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर लेकर चलता रहा और इस बात की भनक किसी को नहीं लग पाई. क
कार मालिक मनीष मिश्रा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 में गोरखपुर के एक कार शोरूम से कार खरीदी थी. इसके बाद उन्होंने रजिस्ट्रेशन पेपर के लिए भारी भरकम शुल्क भी जमा किया, मगर उन्हें फर्जी आरसी पेपर दे दिए गए.
मनीष ने कहा कि उन्हें जो रजिस्ट्रेशन पेपर मिला था उसके अनुसार up 51 aa 6262 दिया गया उन्हें लगा कि वाहन शोरूम मालिक के द्वारा फर्जी पेपर नहीं दिए जाएंगे, लेकिन उनको विश्वास में लेकर धोखाधड़ी करते हुए ऐसा पेपर दे दिया गया, जिसका आरटीओ विभाग में पंजीयन ही नहीं हुआ था.
इसी नंबर प्लेट को लगाकर मनीष मिश्रा अपनी कार को 8 साल तक सड़कों पर लेकर चलते रहे. कई बार एक्सीडेंट भी हुआ तो उन्होंने बीमा कंपनी से बाकायदा इसका क्लेम भी लिया और हर साल बीमा का रिन्यूवल भी करवाया. अब जब मामला खुलकर सामने आ गया है और वाहन शोरूम के मालिक और RTO विभाग की मिलीभगत उजागर हो चुकी है.
अपर पुलिस अधीक्षक दीपेंद्रनाथ चौधरी ने बताया कि वादी पक्ष ने एक तहरीर दी थी कि कुछ समय पूर्व उन्होंने जो कार ली थी, उसमें उन्होंने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए आवेदन किया. उनका आरोप है कि जो आरसी पेपर कार कंपनी के द्वारा दिया गया था, वह फर्जी है. इनकी शिकायत के आधार पर तत्कालीन एआरटीओ और बाबू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आगे की विवेचना प्रचलित है.
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