UP News: सियाचिन ग्लेशियर में अपने सैनिक साथियों को बचाने में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार को उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए 5 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद की मां और पत्नी स्मृति सिंह को कीर्ति चक्र दिया. मगर अब शहीद अंशुमान सिंह के माता-पिता का दर्द सामने आया है. अब शहीद के माता-पिता अपने बेटे का कीर्ति चक्र देखने के लिए तरस गए हैं और उनके पास कीर्ति चक्र नहीं है.
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दरअसल शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह अपने ससुराल से मायके चली गई हैं. वह अपने साथ अपने शहीद पति की सभी यादों को भी ले गई हैं. शहीद के माता-पिता के मुताबिक, स्मृति सिंह अपने साथ पति की फोटो एल्बम, उनके कपड़े समेत उनकी कई यादे ले गईं. उसके साथ ही साथ वह अपने साथ कीर्ति चक्र भी ले गईं. शहीद की पत्नी स्मृति सिंह अब अपने मायके गुरदासपुर चली गई हैं.
परमानेंट एड्रेस भी बदल दिया
शहीद अंशुमान सिंह के माता-पिता का ये भी कहना है कि उनकी बहू स्मृति सिंह ने बेटे के दस्तावेजों में दर्ज परमानेंट एड्रेस भी बदल दिया और उसपर गुरदासपुर का पता दर्ज करवा दिया है. शहीद के माता-पिता का कहना है कि उन्होंने पहले अपने बेटे को खोया और अब वह उसकी शहादत के बदले मिले कीर्ति चक्र को भी छूने के लिए तरस रहे हैं.
शहीद के पिता का कहना है कि अंशुमान की तेरहवीं के बाद उनकी पत्नी उनका सारा सामान लेकर यहां से चली गईं. उसके बाद सब कुछ बदल गया. शहीद के माता-पिता का साफ कहना है कि शहादत के बाद और तेरहवीं के बाद उनकी बहू काफी बदल गईं और वह कुछ ही दिनों में यहां से चली गई और अपने साथ उसकी सभी यादे भी लेकर गईं. शहीद के पिता बड़े दुखी मनसे कहते हैं कि आखिर उनसे क्या गलती हुई जो उनके साथ ऐसा हुआ? वह कहते हैं कि उनके और उनके परिवार ने ऐसा क्या किया? जो उन्हें ये सिला देखने को मिल रहा है. शहीद के पिता ने बताया कि जब उन्होंने इसको लेकर बहू के पिता से बात की तो उन्होंने कहा कि वह लोग पास्ट लाइफ को भूल जाना चाहते हैं और भविष्य पर ध्यान देना चाहते हैं.
मेरी बहू ने मेरे बेटे को भुला दिया- शहीद की मां
शहीद की मां का कहना है, मैंने राष्ट्रपति भवन में ही चक्र को सिर्फ टच किया. उसके बाद मुझे चक्र देखने को भी नहीं मिला. मेरे बेटे की शहादत पर उसे जो सम्मान मिला, वह मैं देख भी नहीं पाई. इसका मुझे बहुत दुख है. शहीद की मां का कहना है कि बहू हमसे कह कर जाती कि उसे यहां रिश्ता नहीं रखना है, हम उससे कुछ नहीं कहते. मगर उसने शांति के साथ रिश्ता खत्म कर दिया. उसका दर्द बहुत बड़ा है. मगर बहू ने जो व्यवहार किया है, उसे मेरा दुख बढ़ गया है. अगर वह मेरे संपर्क में भी होती तो मुझे लगता कि मेरा अंशुमान जिंदा है. अब मुझे ओर क्या ही चाहिए. मेरी बहू क्या सोचती है, मुझे नहीं पता. मेरी बहू ने मेरे बेटे को भुला दिया होगा. मगर मैं कभी अपने बेटे को नहीं भूलूंगा. इस वीडियो में देखे ये पूरा मामला.
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