कांग्रेस पार्टी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब सबसे बड़े राज्य के विधान मंडल के भीतर उनका ऑफिस छिन गया है, सिर्फ कांग्रेसी नहीं बसपा का भी दफ्तर विधानसभा सचिवालय ने वापस ले लिया. विधानसभा में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय लंबे अरसे से आवंटित थे. बसपा और कांग्रेस के कार्यालय वापस ले लिए गए, जबकि समाजवादी पार्टी का कार्यालय बड़ा कर दिया गया है. बसपा और का कार्यालय कांग्रेस विधानसभा में आवंटित था. विधानसभा में सपा कार्यालय को बड़ा कर दिया गया है.
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संख्याबल कम होने के चलते कार्यालय छीन लिए गए
दरअसल, 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने एक विधानसभा की सीट जीती, जबकि कांग्रेस पार्टी ने दो सीटें जीती हैं. लोकदल और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारत समाज पार्टी, बसपा और कांग्रेस से बड़ी पार्टी हो चुकी है. यही नहीं, राजा भैया की पार्टी भी बसपा से बड़ी और कांग्रेस के बराबर है. ऐसे में सुभासपा और आरएलडी को केबिन अलॉट किए गए हैं.
क्या है नियम?
विधानसभा सदस्य नियमावली 1987 की धारा 157 (2) ये कहती है कि ऐसे दल जिनकी सदस्य संख्या 25 या उससे अधिक है, उन्हें सचिवालय द्वारा कक्ष,चपरासी,टेलीफोन आदि उन शर्तों के साथ दिए जा सकते हैं . जैसी विधानसभा अध्यक्ष निर्धारित करें. नियमावली के मुताबिक, 25 से कम सदस्यों वाले दल को कक्ष,आदि सुविधा का अधिकार है ही नहीं, बाकी अध्यक्ष विधानसभा के पास अधिकार हैं जैसा वो निर्धारित कर दें.
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