How to Take Viagra: इन दिनों मुंबई का एक मामला जमकर चर्चा में है. बता दें कि यहां 41 साल के एक शख्स ने कथित तौर पर सेक्स वर्धक दवा वियाग्रा का ओवरडोज ले लिया, जिसक कारण उसकी मौत हो गई. इस तरह की घटना यूपी के प्रयागराज में 2 साल पहले घटी थी, जब साल 2022 के जून के महीने में 28 वर्षीय एक युवक ने उत्साह और जानकारी के अभाव में वियाग्रा का ओवरडोज लेकर खुद की जिंदगी को खतरे में डाल लिया था. शादी के बाद उसने अपनी मैरिड लाइफ को रोमांटिक बनाने के चक्कर में अपने दोस्तों की सलाह मान ली, लेकिन इस कदम ने उसकी जिंदगी में समस्याओं का अंबार लगा दिया. डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर उसे बचाया तो, लेकिन उसकी समस्याएं शायद अब जीवनभर उसके साथ रहेंगी. इस खबर में आगे प्रयागराज के युवक की पूरी कहानी के साथ डॉक्टरों की एडवाइज भी जानिए.
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क्या हुआ था युवक के साथ?
शादी के चंद दिन बाद ही इस युवक ने अपनी मैरिड लाइफ को और रोमांटिक बनाने का विचार किया. उत्साह से भरपूर युवक के दोस्तों ने उसे सलाह दी कि वियाग्रा का सेवन करने से उसके अनुभव में नयापन आएगा. युवक ने पहले दोस्तों की बात मानते हुए 25-30 मिलीग्राम वियाग्रा ली. बाद में दोस्तों के कहने पर उसने डोज बढ़ाकर 200 मिलीग्राम कर दी, जिससे उसकी हालत खराब हो गई.
हालत अचानक से बिगड़ने लगी
वियाग्रा का ओवरडोज लेने के बाद युवक की हालत बिगड़ने लगी. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि 20 दिन बाद भी उसका निजी अंग सामान्य नहीं हो पाया. इस दौरान उसे दूसरी फिजिकल समस्याएं भी होने लगीं. पत्नी ने उसकी यह स्थिति देखी तो नाराज होकर मायके चली गई. हालांकि, ससुरालवालों के समझाने पर वह लौटी और अपने पति को अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन युवक की गंभीर हालत देखकर वह फिर से वापस चली गई.
ऑपरेशन के बाद आई ये समस्या
युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद उसकी हालत कुछ हद तक सुधरी, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि उसका गुप्तांग अब कभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाएगा.
पेनाइल प्रोस्थेसिस ऑपरेशन: नई जिंदगी का सहारा
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की एक टीम ने ढाई घंटे तक चले दुर्लभ ऑपरेशन में युवक को पेनाइल प्रोस्थेसिस प्रत्यारोपित किया. इस प्रक्रिया के दौरान युवक के गुप्तांग में दिल्ली से मंगाई गई 35,000 रुपये की पेनाइल प्रोस्थेसिस डिवाइस लगाई गई. डॉक्टरों के अनुसार, इस ऑपरेशन के जरिए युवक को एक तरह से नई जिंदगी मिली, लेकिन इससे अन्य लोगों को यह समझने की जरूरत है कि ऐसी दवाएं डॉक्टर की सलाह के बिना लेना जानलेवा साबित हो सकता है.
डॉक्टरों की सलाह- सावधानी ही सुरक्षा
इस घटना पर डॉक्टरों ने बताया कि आमतौर पर वियाग्रा की खुराक 25 से 30 मिलीग्राम होती है, और वह भी केवल डॉक्टर की सलाह पर ली जानी चाहिए. वियाग्रा जैसी दवाओं का ओवरडोज खतरनाक साबित हो सकता है और जीवनभर की परेशानियों का कारण बन सकता है. डॉक्टरों ने यह भी कहा कि इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए हर व्यक्ति को ऐसी दवाओं का सेवन केवल योग्य चिकित्सक से सलाह लेकर ही करना चाहिए. इस दुर्लभ ऑपरेशन ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नया अध्याय तो जोड़ दिया, लेकिन यह घटना सभी को चेतावनी देती है कि जानकारी के अभाव में ली गई दवाएं गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं. अब यह घटना केवल प्रयागराज के युवक की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सीख बन चुकी है. ऐसे में यह जरूरी है कि लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें और बिना विशेषज्ञ सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें.
जानें वियाग्रा के बनने की पूरी कहानी
दरअसल, अमेरिकी कंपनी फाइजर हार्ट की एक समस्या एंजाइना पर काम कर रही थी. एंजाइना में हार्ट तक खून पहुंचाने वाली नसें सिकुड़ जाती हैं. फाइजर की टीम ने एक नया कंपाउंड सिल्डेनाफिल बनाया. इसका प्रयोग पहले जानवरों पर किया गया. वहां कोई साइड इफेक्ट नहीं होने पर कुछ पुरूषों पर इसका प्रयोग किया. प्रयोग के दौरान देखा गया कि रक्त वाहिकाओं का फैलाव हृदय में नहीं बल्कि लिंग में था. दवा काम तो कर गई पर निजी अंग पर. ये दवा कहीं न कहीं इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी पुरुष नपुंसकता की समस्या को दूर करती दिख रही थी. ऐसे में इसपर एक्सपेरिमेंट शुरू हुआ और 1996 में कंपनी को इस दवा के लिए पेटेंट मिला.
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