Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हलचल काफी बढ़ी हुई है. वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दिया था. 31 साल बाद वहां पहली बार पूजा की गई. जिसे रोकने की मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट ने तहखाना में पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस मामले को लेकर जमीयत उलेमा हिंद ने प्रेस कॉफ्रेंस कर बड़ा एलान किया है. जमीयत उलेमा हिंद ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है.
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अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा उलेमा ए हिंद
प्रेस कॉफ्रेंस में मौलाना मदनी ने कहा कि, 'मुसलमान मुल्क की आज़ादी के बाद देश अब इस तरफ के मसले से घिरा हुई है. दिल्ली से लेकर यूपी तक तमाम ऐसे तमाम मसले उठ रहे हैं. कोर्ट की ढिलाई की वजह से जो लोग इबादतगहों को क़ब्ज़ा करने वालों को हौसला मिला है. 1991 के फ़ैसले में बाबरी को दूर रखना भी ठीक नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले ने जो रास्ता दिखलाया है, तो लोग टूट पड़े हैं कि इस मस्जिद को क़ब्ज़ा कर इनके लाइब्रेरियों को आग लगाओ.'
वहीं मौसाना सैफ़ुल्ला ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कहा कि, ' ज्ञानवापी मामले में कल जो वाक्या सामने आया है, उससे २० करोड़ मुसलमानों को और इंसाफ़ पसंद तमाम शहरियों को बहुत धक्का पहुंचा है. मुसलमान रंज की हालत में है. वैसे ही हिंदू और सिख भी जो मानते हैं की ये देश मजहब का गुलदस्ता है. उन सबको धक्का लगा है. ये जो बात कही जाती है ज्ञानवपी और किसी मस्जिद के बारे में मंदिर को गिराकर मंदिर बनाई, ये ग़लत है. इस्लाम में छिनी हुई ज़मीन पर मस्जिद नहीं बना सकते. पहली मस्जिद जो बनी उसको भी खरीदा गया था.'
बता दें कि वाराणसी जिला कोर्ट ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस फैसले में हिन्दू पक्ष को कैंपस के तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दिया था, जिसके बाद बीती देर रात से तहखाने में पूजा-पाठ शरू हो गई.
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