Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को एक अहम फैसले दिया है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि पति की गैरमौजूदगी में ससुर,बहू को ससुराल आकर रहने को बाध्य नहीं कर सकता है. कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ बहू को मायकेवालों से मुक्त कराकर ससुराल में रहने देने के आग्रह वाली याचिका खारिज कर दी.
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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का अहम फैसला
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में मो हाशिम की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि बीते 2 सालों से उसकी बहू को उसके माता-पिता मायके में बंधक बना है. बहू को ससुराल नहीं आने दे रहे हैं. उनका बेटा कुवैत में नौकरी करता है. लिहाजा बहू को मायके वालों से मुक्त कराकर ससुराल भेजा जाए. इस याचिका पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस शमीम अहमद ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पति की गैरमौजूदगी में ससुर बहू को ससुराल आकर रहने को बाध्य नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है जिसमे पत्नी की हिफाजत, उसकी जरूरतों को पूरी करना पति की जिम्मेदारी है और पति इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए बाध्य हैं.
शादी के बाद पति कुवैत में कमा रहा है पत्नी माता-पिता के साथ रह रही है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि विवाहिता बंधक बनाई गई है. संभव है कि पति की गैरमौजूदगी में पत्नी ससुराल में नहीं रहना चाहे. अगर इस संबंध में कोई शिकायत है तो पति ही उचित फोरम पर शिकायत करा सकता है ना कि ससुर या कोई अन्य पक्ष. हाईकोर्ट ने ससुर मोहम्मद हाशिम की तरफ से दायर की गई याचिका में बहू को ससुराल भेजें की याचिका को निस्तारित कर यह आदेश दिया है.
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