बदायूं की जामा मस्जिद क्या नीलकंठ महादेव मंदिर है? केस पहुंचा कोर्ट, क्या है पूरा विवाद?

अंकुर चतुर्वेदी

• 10:43 AM • 01 Dec 2024

UP News: संभल जामा मस्जिद फिलहाल चर्चाओं में बनी हुई है. यहां कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ और इसके बाद हिंसा भी भड़की. इसी बीच अब बदायूं का मामला भी कोर्ट में पहुंच गया है.

Budaun Jama Masjid

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UP News: संभल जामा मस्जिद फिलहाल चर्चाओं में बनी हुई है. यहां कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ और इसके बाद हिंसा भी भड़की. इसी बीच अब बदायूं का मामला भी कोर्ट में पहुंच गया है. दरअसल बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. बता दें कि ये मामला फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है.  

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सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार की कोर्ट ने इस मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता की बहस सुनने के बाद की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को निर्धारित कर दी है. 

क्या है ये पूरा मामला?

यह पूरा मामला साल 2022 में सामने आया था. अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. इसके बाद उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.  

बता दें कि सरकारी पक्ष और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है. इसी के साथ पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश हो चुकी है. इसी के साथ इस मामले में शाही मस्जिद कमेटी की तरफ से भी बहस पूरी कर ली गई है. दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद अब कोर्ट 3 दिसंबर के दिन अगली सुनवाई करेगा.

मुस्लिम पक्ष का दावा- मस्जिद 850 साल पुरानी है

बदायूं जामा मस्जिद के वकील असरार अहमद ने बताया, मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है. उन्होंने कहा, इस मामले में हिंदू महासभा ने जो याचिका दायर की है, उसका कोई अधिकार ही नहीं है. यहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने का कोई मामला नहीं बनता.

हिंदू पक्ष का ये है कहना

हिंदू पक्ष के वकील विवेक रेंडर का कहना है कि हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट में ठोस सबूत पेश किए गए हैं. अब इस बात को लेकर फैसला होना है कि ये मामला सुनवाई योग्य है या नहीं. कोर्ट ने 3 दिसंबर को अगली तारीख दी है. हिंदू पक्ष का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि उन्हें निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा.

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