Masik Krishna Janmashtami: हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का विशेष स्थान है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक लोकप्रिय त्योहार के तौर पर मनाई जाती है. इस लेख में हम आपको प्रति वर्ष भाद्रपद महीने में मनाई जाने वाली मुख्य कृष्ण जन्माष्टमी से अलग मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख, शुभ मुहूर्त और राधा रानी को प्रसन्न करने के उपाय बता रहे हैं.
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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी क्या है?
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का मासिक उत्सव है. इसे कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का क्षीण चरण) की अष्टमी तिथि (आठवें दिन) को मनाया जाता है. वहीं मुख्य जन्माष्टमी उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है. मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भक्तों को हर महीने कृष्ण के जन्म का त्योहार मनाने का विकल्प देती है.
जून 2024 में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी: तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: इस बार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 28 जून, 2024 को है.
शुभ मुहूर्त: कृष्ण जन्माष्टमी के लिए शुभ समय क्षेत्रीय और स्थानीय मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. इसमें आम तौर पर निशिता काल (आधी रात) शामिल होता है, जिसे कृष्ण के जन्म के उत्सव के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है. वैसे द्रिक पंचांग के मुताबिक 12:05 AM से 12:45 AM, यानी 29 जून की रात में शुभ मुहूर्त है.
राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा कैसे करें?
1. स्वच्छता और पवित्रता: पूजा स्थल को साफ करें और पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें.
2. वेदी तैयार करना: फूलों से सजी राधा रानी की तस्वीर या मूर्ति के साथ एक वेदी स्थापित करें.
3. प्रसाद: मिठाई, फल, दूध, मक्खन और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
4. मंत्र और प्रार्थना: राधा रानी के नाम और मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ राधा कृष्णाय नमः".
5. भजन और कीर्तन: राधा और कृष्ण की स्तुति में भक्ति गीत गाएं.
6. ध्यान और चिंतन: राधा रानी के स्वरूप और गुणों का ध्यान करें.
7. प्रसाद का वितरण: चढ़ाया गया प्रसाद परिवार और भक्तों में बांटें.
इस दिन उपवास रखना शुभ माना जाता है. भक्त अक्सर आधी रात तक उपवास रखते हैं, जन्माष्टमी अनुष्ठान करने के बाद इसे तोड़ते हैं. राधा और कृष्ण की कहानियों को पढ़ना और सुनाना, खासकर उनकी लीलाओं को, राधा रानी को बहुत प्रसन्न कर सकता है. पूजा को प्रभावी बनाने के लिए स्वच्छ और शांत मन और वातावरण बनाए रखना महत्वपूर्ण है. विशिष्ट मंत्रों और भजनों पर अधिक विस्तृत मार्गदर्शन के लिए, धार्मिक ग्रंथों का संदर्भ लेना या किसी जानकार पुजारी या आध्यात्मिक मार्गदर्शक से परामर्श लेना चाहिए.
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