मुख्तार अंसारी की कहानी, जिनके दादा स्वतंत्रा सेनानी और नाना फौज में ब्रिगेडियर थे

यूपी तक

• 08:17 AM • 30 Apr 2023

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को गैंगस्टर केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को दोषी करार दिया…

UPTAK
follow google news

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को गैंगस्टर केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को दोषी करार दिया गया. इसको लेकर कोर्ट ने 10 साल की सजा के साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी लगाया. मुख्तार अंसारी पर गैंग्स्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में फैसला सुनाया. पूर्वांचल में एक समय सबसे ताकतवर शख्स मुख्तार अंसारी का परिवार गाजीपुर में एक प्रतिष्ठित हैसियत रखता था. मुख्तार के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस के बड़े नेता थे.

यह भी पढ़ें...
मुख्तार अंसारी के दादा स्वतंत्रा सेनानी

मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रा सेनानी थे. वह स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. मुख्तार अंसारी के नाना मोहम्मद उस्मान अंसारी फौज में ब्रिगेडियर थे. ऐसे प्रतिष्ठित लोगों की छाया में पले-बढ़े मुख्तार अंसारी का माफियागिरी से कैसे वास्ता हो गया, यह सवाल हर किसी के मन में आता ही है. 1988 में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम अपराध की दुनिया में सामने आया था. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार को नामजद किया गया था.

मुख्तार ने ऐसे रखा अपराध की दुनिया में कदम

साल 1995 में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया. 1996 में पहली बार मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर यूपी के मऊ से विधायक चुना गया. उसके बाद मऊ विधानसभा से साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए. 2012 में मुख्तार अंसारी और भाई अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से पार्टी का गठन किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी कौमी एकता दल से मऊ सीट से लड़े और जीते.

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का समाना करना पड़ा था. मुख्तार अंसारी ने बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को कड़ी टक्कर दी थी और वह चुनाव परिणाम में दूसरे नंबर पर थी. नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की बीच सड़क पर दर्दनाक हत्या कर दी गई थी. जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर इस हत्या का आरोप लगा.

ये भी पढ़ें – मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह: यूपी के दो माफिया डॉन की कहानी जिनसे अपराध भी थर्राता था

कहा जाता है कि मुख्तार अंसारी ने अपने शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक-उर-रहमान की मदद से कृष्णानंद राय की हत्या करवाई थी. हालांकि, सबूतों के अभाव में मुख्तार अंसारी को निचली अदालत से बरी कर दिया गया था.मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानुल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे. उनकी छवि साफ-सुथरी थी. इसी के बल पर वह 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुने गए थे. मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी उप-राष्ट्रपति थे और भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं. 2017 में कौमी एकता दल का बसपा में विलय हुआ.

2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट से फिर मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा से विधायक चुना गया. पिछले 15 साल से अधिक जेल में बंद मुख्तार अंसारी 24 साल से मऊ विधानसभा से विधायक रहा है. पिछला 3 चुनाव उसने जेल से ही लड़ा और  जीता है.

    follow whatsapp