नवरात्रि का आठवां दिन कल, इस मुहूर्त में करें महागौरी माता की पूजा, सभी कष्ट होंगे दूर

यूपी तक

10 Oct 2024 (अपडेटेड: 10 Oct 2024, 04:39 PM)

नवरात्रि का आठवां दिन जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है, कल (11अक्टूबर) धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. महागौरी माता को शक्ति, शांति और समृद्धि की देवी माना जाता है.

Mahashtami Special

Mahashtami Special

follow google news

Navratri 2024 Day 8: नवरात्रि का आठवां दिन जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है, कल (11अक्टूबर) धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. महागौरी माता को शक्ति, शांति और समृद्धि की देवी माना जाता है. उनकी उपासना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.

यह भी पढ़ें...

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां महागौरी ने कठिन तप कर गौरवर्ण प्राप्त किया था. मां की उत्पत्ति के समय इनकी आयु आठ वर्ष की थी जिस कारण इनका पूजनअष्टमी को किया जाता है. इस विषय में महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मां अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप है, मां धन वैभव, सुख शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं. मां का स्वरूप ब्राह्मण को उज्जवल करने वाला तथा शंख, चन्द्र व कुंद के फूल के समान उज्जवल है. मां वृषभवाहिनी (बैल) शांति स्वरूपा हैं.

महाअष्टमी का शुभ मुहूर्त

अष्टमी के कन्या पूजन के लिए कई मुहूर्त हैं जिसमें पहला सुबह 5:25 मिनट से 6:20 मिनट तक रहेगा. उसके बाद सुबह 11:44 से लेकर दोपहर 12:33 मिनट तक रहेगा. उसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा. शुभ मुहूर्त में माता की पूजा करने से महागौरी की विशेष आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है.

माता को ऐसे मिला महागौरी का नाम

महंत रोहित शास्त्री के मुताबिक, मां ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया जिसके बाद उनका शरीर मिट्टी से ढक गया. आखिरकार भगवान महादेव उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी होने का आर्शीवाद प्रदान किया. भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगाजल से धोया जिसके बाद मां गौरी का शरीर विद्युत के समान गौर व दैदीप्यमान हो गया.इसी कारण इनका नाम महागौरी पड़ा.

मां संगीत व गायन से प्रसन्न होती हैं इसलिए इनके पूजन में संगीत जरूर होता है. ऐसी मान्यता है कि महाअष्टमी के दिन मां की आराधना सच्चे मन से करने और मां के स्वरूप में ही पृथ्वी पर आई कन्याओं को भोजन कराकर उनका आर्शीवाद लेने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद अवश्य देती हैं.

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि ये अमोघ फलदायिनी हैं और भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं. पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं. महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है. इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं.

 

 

ध्यान मंत्र

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

अर्थ- मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का. देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं. इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. महागौरी का वाहन बैल है. देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है. इनका स्वभाव अति शांत है.

    follow whatsapp