आज मुख्तार को जान का खतरा पर एक समय जेल में रहता था ऐसा जलवा

यूपी तक

07 Sep 2023 (अपडेटेड: 07 Sep 2023, 08:47 AM)

Mukhtar Ansari News: उत्तर प्रदेश में जब कभी भी बाहुबली नेताओं की सूची बनेगी तो वह माफिया मुख्तार अंसारी के नाम के बिना अधूरी ही…

UPTAK
follow google news

Mukhtar Ansari News: उत्तर प्रदेश में जब कभी भी बाहुबली नेताओं की सूची बनेगी तो वह माफिया मुख्तार अंसारी के नाम के बिना अधूरी ही रहेगी. एक समय ऐसा था जब मुख्तार की पूर्वांचल में तूती बोलती थी. वह आसानी से कानून व्यवस्था को अपने इशारों पर नचाता था. मगर वो कहते हैं न ‘वक्त आदमी को अर्श से फर्श पर लाकर पटक देता है.’ आज ऐसा समय है कि मुख्तार जेल में बंद है और उसे लगातार अपने गुनाहों की सजा मिल रही है. आज मुख्तार को अपनी ही हत्या का डर सता रहा है. आलम यह है कि माफिया ने कोर्ट से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है. आज जब मुख्तार की कहानी का जिक्र हो रहा है तो जानिए वो किस्से जब माफिया का पूर्वांचल में जलवा रहता था.

यह भी पढ़ें...

पहले जानिए मुख्तार के बारे में

गाजीपुर के ही युसुफपुर-मुहम्मदाबाद में 1963 में मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ. मुख्तार के दादा ने आजादी के आंदोलन में भाग लिया था. मुहम्मदाबाद स्थित मुख्तार के घर को ‘फाटक’ के नाम से जाना जाता है. एक समय यहां लोग अपनी समस्याओं का समाधान कराने आते थे. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था. ग़ाज़ीपुर में साफ़-सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख़्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं.

मुख्तार की सभी गाड़ियों का नंबर होता था 786 पर खत्म

एक समय वो था जब माफिया मुख्तार का कारवां निकलता था, तब लाइन से 20-25 गाड़ियां गुजरती थीं. सारी गाड़ियों के नंबर 786 से खत्म होते थे. तब किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि पूरे शहर का भारी ट्रैफिक 2 मिनट भी मुख्तार को रोक सके.

मुख्तार का ड्राइवर बनना नहीं था आसान

लोग तो यह भी बताते हैं कि मुख्तार किस गाड़ी में बैठता इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता था. मुख्तार और उसके लोगों को करीब से जानने वाले बताते हैं कि मुख्तार की गाड़ी या उसके काफिले की गाड़ी का ड्राइवर बनना आसान नहीं था. ड्राइवर वही बन सकता था जो दुश्मनों को दूर-दूर से पहचानता हो और किसी भी रास्ते से गाड़ी निकालने में एक्सपर्ट हो.

इंटरव्यू देते वक्त बंदूक से खेलने लगता था मुख्तार

कुछ समय पहले तक मुख्तार का इंटरव्यू लेने के लिए पत्रकार लाइन लगाए खड़े रहते थे. तब माफिया मुख्तार सुनहरे फ्रेम का चश्मा लगाए मीडिया के सामने आता था. इंटरव्यू के दौरान अचानक जेब से बंदूकें निकाल उनसे खेलना शुरू कर देता था. बताता था कि उसे सिर्फ ‘टॉप’ क्वॉलिटी की चीजें पसंद हैं. मुख्तार के अनुसार उसे रिवॉल्वर 957 मैग्नम और राइफल 975 मैग्नम पसंद हैं.

गाजीपुर जेल में मिलती थीं मुख्तार को ये सब सुविधाएं

मुख्तार जब गाजीपुर जेल में था तभी एक दिन पुलिस रेड में पता चला कि उसकी जिंदगी बाहर से भी ज्यादा आलीशान और आरामदायक चल रही है. अंदर फ्रिज, टीवी से लेकर खाना बनाने के बर्तन तक मौजूद थे. तब उसे मथुरा के जेल में भेज दिया गया.

जेल में खुदवाया था तालाब

मुख्तार को ताजा मछली खाने का शौक था. ये तब की बात है जब वह जेल में बंद था. ऐसे में अपने शौक को पूरा करने के लिए माफिया ने जेल के भीतर ही तालाब खुदवा लिया था, ताकि उसे ताजा मछली खाने को मिल सकें.

 

    follow whatsapp