UP PWD Transfer : 30 की लिस्ट में जुड़ गए और 12 नाम, मंत्री जितिन बोले- फाइल देखकर बताएंगे

आशीष श्रीवास्तव

• 09:21 AM • 25 Jul 2022

उत्तर प्रदेश में तबादलों का बड़ा खेल जारी है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में हुए तबादलों में निष्कर्ष यह निकल कर आया है कि 30…

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उत्तर प्रदेश में तबादलों का बड़ा खेल जारी है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में हुए तबादलों में निष्कर्ष यह निकल कर आया है कि 30 अधिशासी अभियंताओं की सूची भेजी गई थी, जो फाइनल होते-होते 42 की हो गई. यानी इस बीच सूची में12 नाम जुड़ गए. फिलहाल इस पूरे मामले पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने चुप्पी साध रखी है.

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इस पूरे मामले पर जांच के बाद ही पता चल सकता है कि आखिर इतने नाम कैसे जुड़ गए, जो नए नाम जोड़ने के लिए पूरी सूची ही बदल डाली. जानकारी के मुताबिक, 12 लोगों के नाम जोड़ने और उनकी मनचाही तैनाती के लिए पूरी सूची में फेरबदल किया गया है.

हालांकि, पीडब्ल्यूडी के मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के मुताबिक, वह फाइल देखकर ही पूरे मामले में बता पाएंगे कि ये नाम कैसे जुड़ गए.

क्या है पूरा मामला?

यूपी में चिकित्सकों के तबादले में हुई गड़बड़ियों के बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया था. लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला हुआ था. पीडब्ल्यूडी के करीब 200 अधिशासी अभियंताओं और डेढ़ सौ से अधिक सहायक अभियंताओं का तबादला किया गया है. इसको लेकर भी शिकायतें आई थीं.

मामले में पहली गाज पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी अनिल कुमार पांडे पर गिरी थी. सचिवालय प्रशासन विभाग ने कल उन्हें कार्यमुक्त कर मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने के आदेश जारी कर दिए थे. पांडे के खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई.

इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रधान अभियंता मनोज कुमार गुप्ता सहित पांच अधिकारियों को अनियमितता पर निलंबित कर दिया गया था.

लोकनिर्माण विभाग में वर्तमान स्थानांतरण में अनियमितता की शिकायतें शासन को मिली थीं. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने इन शिकायतों पर प्रभावी कदम उठाते हुए 12 जुलाई को तीन सदस्यीय एक टीम गठित थी, जिसमें एपीसी मनोज सिंह एसीएस, गन्ना एवं आबकारी, संजय भूसरेड्डी और एसीएस, नियुक्ति और कृषि, देवेश चुतर्वेदी शामिल थे. जांच समिति द्वारा 16 जुलाई को जांच रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की गई थी.

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