उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों में कथित गड़बड़ियों सामने आने पर हुई कार्रवाई के बाद PWD मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने अपना पहला बयान दिया है.
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उन्होंने कहा,
“सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की जीरो टॉलरेंस की नीति है. अगर विभाग में कोई अनियमितताएं हैं तो सरकार ठोस कदम उठाएगी. निष्पक्ष जांच होगी और जहां गड़बड़ी है, वहां कार्रवाई होगी और बदलाव भी होगा.”
जितिन प्रसाद
जब लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद से पूछा गया कि क्या वह मामले में योगी सरकार की तरफ से की कार्रवाई से नाराज हैं, तो इसपर उन्होंने कहा कि नाराजगी का कोई प्रश्न ही नहीं है.
बता दें कि लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों में कथित गड़बड़ियों सामने आने पर योगी सरकार की तरफ से हुई कार्रवाई को लेकर मंत्री जितिन प्रसाद नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि इसी बात को लेकर मंत्री जितिन प्रसाद ने मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.
क्या है मामला?
पीडब्ल्यूडी विभाग में तबादलों में हुई अनियमितता व नियम विरुद्ध हुए फैसलों पर योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है.सोमवार को विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडे (OSD Anil Kumar Pandey) को कार्यमुक्त कर दिया गया. कार्यमुक्त करने के बाद सचिवालय प्रशासन विभाग ने उन्हें मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने के आदेश जारी कर दिए हैं. पांडे के खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.
इसके अलावा मंगलवार को पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष व प्रमुख अभियंता (विकास) मनोज कुमार गुप्ता, प्रमुख अभियंता (परि./नियो.) राकेश कुमार सक्सेना, व वरिष्ठ स्टॉफ ऑफिसर (ई-2) शैलेंद्र कुमार यादव को भी निलंबित कर दिया गया.इनके साथ ही लोकनिर्माण विभाग के अन्य कार्मिकों पंकज दीक्षित प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थापन ‘घ’ वर्ग व संजय कुमार चौरसिया प्रधान सहायक, व्यवस्थापन ‘घ’ वर्ग के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई है.
गौरतलब है कि लोकनिर्माण विभाग में वर्तमान स्थानांतरण में अनियमितता की शिकायतें शासन को मिली थीं. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने इन शिकायतों पर प्रभावी कदम उठाते हुए 12 जुलाई को तीन सदस्यीय एक टीम गठित थी, जिसमें एपीसी मनोज सिंह एसीएस, गन्ना एवं आबकारी, संजय भूसरेड्डी और एसीएस, नियुक्ति और कृषि, देवेश चुतर्वेदी शामिल थे. जांच समिति द्वारा 16 जुलाई को जांच रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की गई थी. माना जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है.
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