फिरोजाबाद में सिपाही ने रोकर दिखाई खाने की थाली की हकीकत तो पुलिस मेस का ये ‘राज’ खुल गया

संतोष शर्मा

• 06:35 AM • 11 Aug 2022

फिरोजाबाद में सिपाही का खराब खाना मिलने को लेकर वायरल हुआ वीडियो यूपी पुलिस पर सवाल खड़े करने लगा है. सवाल उठने लगे हैं कि…

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फिरोजाबाद में सिपाही का खराब खाना मिलने को लेकर वायरल हुआ वीडियो यूपी पुलिस पर सवाल खड़े करने लगा है. सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुलिस लाइन में सिपाहियो को खराब खाना दिया जाता है? क्या दिन-रात ड्यूटी देने वाले सिपाहियों का शोषण हो रहा है? सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद इस पूरे मामले पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. एडीजी राजीव कृष्णा ने सीओ सदर फिरोजाबाद से जांच रिपोर्ट मांगी है.

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फिरोजाबाद पुलिस लाइन के कॉन्स्टेबल मनोज कुमार का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. वायरल वीडियो में मनोज कुमार खराब खाना मिलने की शिकायत कर रहे हैं. फिलहाल मनोज कुमार की शिकायत पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

अब सवाल उठने लगा है थाने और पुलिस लाइन में चलने वाली मेस की व्यवस्था क्या है? यहां खाना कैसे बनता है और इसके लिए फंड कहां से आता है? आपको बता दें कि थाने और पुलिस लाइन में बनने वाला सामूहिक भोजन यानी मेस के लिए कोई सरकारी फंड नहीं दिया जाता. सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के हर पुलिसकर्मी को उसके पद के हिसाब से पौष्टिक आहार भत्ता उसकी तनख्वाह में जोड़ कर दिया जाता है. वर्तमान में प्रत्येक सिपाही को ₹1875 मासिक पौष्टिक आहार भत्ता दिया जाता है.

सरकारी स्तर पर मेस संचालन में खाना बनाने वाला फॉलोअर्स, बर्तन, गैस चूल्हा, खाना खाने के लिए मेस एरिया और टेबल कुर्सी दी जाती है. जब भी कोई पुलिसकर्मी पुलिस लाइन या थाने के मेस में खाना खाएगा तो उसे ₹1000 बतौर सिक्योरिटी मनी जमा करनी होगी. जितने पुलिसकर्मियों की सिक्योरिटी मनी जमा होगी मासिक तौर पर उतने पुलिसकर्मियों का खाना बनता है. लेकिन खाना बनने से पहले हर पुलिसकर्मी को यह भी बताना होगा कि उसका आज मेस में खाना बनेगा या नहीं. अगर वह मेस में खाना नहीं खाता है तो भी उसको भुगतान देना पड़ेगा.

मेस कमेटी द्वारा महीने भर में मेस के संचालन में आए खर्च को जोड़ा जाता है, जिसमें राशन, तेल मसाला,सब्जी आदि से लेकर गैस सिलेंडर भरवाने तक का खर्च जोड़ा जाता है. महीने भर में आए कुल खर्च को हर पुलिसकर्मी की डाइट के हिसाब से बता दिया जाता है कि किसे कितना पैसा जमा करना है. हर पुलिसकर्मी यह पैसा मेस में जमा कर देता है.

मेस संचालन करने वाली कमेटी के पुलिसकर्मियों को भी एक महीने बाद बदल दिया जाता है. खाना खाने वाले पुलिसकर्मियों के फीडबैक के आधार पर ही नए पुलिसकर्मी संचालन की कमेटी में शामिल होते हैं. हर जिले की पुलिस लाइन में मेस का संचालन मासिक स्तर पर गठित होने वाली कमेटी करती है, जिसमें हवलदार या हेड कॉन्स्टेबल स्तर का एक पुलिसकर्मी मेस मैनेजर होता है और 4 अन्य पुलिसकर्मी इस कमेटी के सदस्य.

इन चार कमेटी के सदस्य पुलिसकर्मियों में दो पुलिसकर्मी पर्चज कमेटी में होते हैं, 2 पुलिसकर्मी ऑडिट करते हैं यानी खरीदे गए सामान के बिल वाउचर को चेक करने वाले होते हैं और एक पुलिसकर्मी मदद करने के लिए रखा जाता है. इतना ही नही मेस में बन रहे खाने की गुणवत्ता को परखने के लिए जिले में अफसरों की ड्यूटी लगाई जाती है. हर मंगलवार को एडिशनल एसपी स्तर का अधिकारी, बुधवार को सीओ लाइन और शुक्रवार को जिले के कप्तान मेस का निरीक्षण करते हैं. खाने को लेकर फीडबैक लेते हैं.

अब मेस के खाने की हो रही जांच

फ़िलहाल फिरोजाबाद में कॉन्स्टेबल के द्वारा मेस के खाने को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. लिहाजा इस पूरे मामले पर एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्णा ने यूपीतक से बातचीत में कहा कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जा रही है. सीओ सदर से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. मेस के खाने की गुणवत्ता का हर हाल में खयाल रखा जाता रहा है, लेकिन इस शिकायत के बाद सीओ के द्वारा इस पहलू की भी जांच की जाएगी.

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