Jayaprakash Narayan: आज जय प्रकाश नारायण की जयंती पर लखनऊ में जमकर सियासी ड्रामा हुआ. उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ प्रशासन ने जेपी सेंटर में समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जाने नहीं दिया. अखिलेश जेपी सेंटर में जाकर जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना चाहते थे. मगर ऐसा नहीं हो सका. लखनऊ प्रशासन की तरफ से कहा गया कि सपा चीफ के लिए जेपी सेंटर जाना सही नहीं है, क्योंकि वहां निर्माणकार्य जारी है.
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ऐसे में अब आप में से कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर ये जय प्रकाश नारायण कौन हैं? जिनको लेकर लखनऊ में जमकर सियासी हंगामा हुआ और सपा-भाजपा आमने-सामने आ गईं.
कौन हैं जेपी के नाम से पहचाने जाने वाले जय प्रकाश नारायण?
जय प्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 में बिहार के सिताबदियारा में हुआ था. वह महान स्वतंत्रता सेनानी और जाने माने राजनेता थे. देश की आजादी के दौरान हुए आंदोलनों में भी जय प्रकाश नारायण की अहम भूमिका रही.
मुख्य तौर से जय प्रकाश नारायण को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के लिए जाना जाता है. दरअसल जेपी ने इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की खिलाफत की. उन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया. इसके लेकर प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी ने जेपी को गिरफ्तार भी करवा लिया. उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व किया. जेपी के आंदोलन का असर ये हुआ कि साल 1977 में जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व से ही विपक्ष एकजुट हुआ और इंदिरा गांधी को चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा.
नेहरू के करीबी रहे और समाजवाद का नारा दिया
बता दें कि आजादी की लड़ाई में जय प्रकाश नारायण नेहरू और महात्मा गांधी जैसे कई महान क्रांतिकारियों के संपर्क में रहे. कई बार जेल भी गए. आजादी के बाद वह समाज कल्याण और समाज सुधार के अभियान में शामिल हो गए. उन्होंने समाजवाद का जो नारा दिया, वह आगे जाकर देश को नई राजनीति की तरफ ले गया, जिसका असर उत्तर प्रदेश और बिहार में मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव की सियासत में साफ देखा जा सकता है.
लालू यादव से लेकर नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, शरद यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे अनेकों बड़े नेता जेपी आंदोलन से ही निकले और राष्ट्रीय राजनीति में छा गए.
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