Sarfaraz Khan News: देश भर में इन दिनों क्रिकेटर सरफराज खान की खूब चर्चा है. बता दें कि 26 वर्षीय सरफराज खान ने राजकोट में भारत की ओर से सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में अपना टेस्ट डेब्यू किया. सरफराज ने निरंजन शाह स्टेडियम में पहले दिन 66 गेंदों में 62 रनों की आक्रामक पारी खेलकर सभी को प्रभावित किया. घरेलू सर्किट में एक जाना-माना नाम, सरफराज को राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए वर्षों तक इंतजार करना पड़ा। रणजी ट्रॉफी में लगातार सनसनीखेज प्रदर्शन के बावजूद सरफराज को भारतीय टीम के लिए नहीं चुना गया.
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सरफराज का है यूपी के इस जिले से कनेक्शन
क्या आप जानते हैं कि सरफराज खान का संबंध उत्तर प्रदेश से है? दरअसल, सरफराज का पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में है. आजमगढ़ का बासूपार गांव सरफराज खान का पैतृक गांव है. सरफराज के शानदार प्रदर्शन के बाद अब इस गांव में खुशी का माहौल है. सरफराज खान के गांव वाले सरफराज की सफलता पर काफी खुश हैं. उनका कहना है कि सरफराज ने सिर्फ उनके गांव का ही नहीं बल्कि आजमगढ़ और पूरे यूपी का नाम रौशन कर दिया है. गांव वालों का कहना है कि सरफराज खान आजमगढ़ के छोटे से गांव बासूपार से निकलकर आज भारतीय टीम के लिए खेल रहा है. ये गांव वालों के लिए गर्व की बात है.
सरफराज के पिता हुए थे भावुक
मालूम हो कि सरफराज के पिता नौशाद उनके पदार्पण के दिन भावुक हो गए थे. मैच की शुरुआत से पहले सरफराज द्वारा उन्हें टेस्ट कैप सौंपे जाने के बाद वह रोने लगे थे. नौशाद ने 'आजतक' से अपने बेटे के डेब्यू के बारे में बात की और कहा कि उनका सपना सच हो गया है.
नौशाद खान ने कहा, "मेरा सपना था कि जो मैं पूरा नहीं कर सका, उसने कर दिखाया. ऐसा लगा जैसे मैंने उसके माध्यम से टेस्ट कैप पहनी हो. वह बचपन से ही सख्त शासन में रहा है. उसने कभी पतंग नहीं उड़ाई, न ही अपने दोस्तों के साथ घूमने गया. वह सुबह जल्दी उठकर प्रैक्टिस के लिए जाता था."
सरफराज क्यों पहनते हैं 97 नंबर की जर्सी?
नौशाद खान ने कहा, "मैं उसके जरिए टेस्ट क्रिकेट खेल रहा हूं. वह अपनी पीठ पर मेरा नाम 9 और 7 पहनता है. जो नौ-सात है, मेरा नाम- नौशाद है. मैं कोच और पिता दोनों के रूप में खुश हूं."
मैं उसके प्रति कठोर रहा हूं: नौशाद
सरफराज के पिता ने कहा, "मैं उसके प्रति कठोर रहा हूं, लेकिन उसके साथ ऐसा एक कारण से किया गया है. जिन रातों को वह बिना खाने के सोया, वह उसे यह सिखाने के लिए था कि फुटपाथ पर सोने वाले लोग कैसा महसूस करते हैं. हमारे पास एक कार थी, लेकिन उसे यात्रा करने के लिए मजबूर किया गया ट्रेन से, ताकि वह जीवन की कठिनाइयों को सीख सके."
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