Umesh Pal Case: उमेश पाल अपहरण कांड में भले ही प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को निर्दोष करार दिया हो, लेकिन बरेली जेल में बंद अशरफ को निर्दोष होकर भी ‘मौत का डर सता रहा है.’ वहीं, दूसरी तरफ उम्र कैद की सजा पाने के बाद भी अतीक अहमद अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद होकर ‘इत्मीनान से है.’ आखिर क्यों उम्र कैद की सजा पाने वाला अतीक अहमद खुश है और निर्दोष हुआ अशरफ खौफजदा? इसे खबर में आगे जानिए.
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गौरतलब है कि 26 मार्च की शाम अतीक अहमद अहमदाबाद की साबरमती जेल से निकला तो खौफ में था. उसने बयान दिया कि ‘कोर्ट के कंधे पर रखकर मेरी हत्या करवाना चाहते हैं.’ 12 सौ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद अतीक अहमद अपनी उसी प्रयागराज की नैनी जेल पहुंचा, जहां कभी उसका ‘साम्राज्य’ चलता था, जहां उसका ‘दरबार’ लगता था. 27 मार्च की शाम वह प्रयागराज की नैनी जेल में बंद था. 28 मार्च को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उमेश पाल अपहरण कांड में फैसला सुनाया. अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुना दी गई. बीते 40 सालों से हत्या, अपहरण, रंगदारी, वसूली, मारपीट, लूट जैसी तमाम घटनाओं को अंजाम देने वाले अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं.
अतीक की यह मुराद हुई पूरी!
उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार अतीक अहमद को सजा हुई है. इस सजा के ऐलान के बाद भी अतीक अहमद खौफ में नहीं दिखा. वो बस अदालत से गुहार लगाता रहा कि उसे साबरमती जेल वापस भेज दिया जाए. कोर्ट ने भी अतीक अहमद को साबरमती जेल भेजने का आदेश दिया तो मानो अतीक अहमद की मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई. सजायाफ्ता होने के बाद प्रयागराज की नैनी जेल से लेकर वापस अहमदाबाद की साबरमती जेल पहुंचने तक अतीक अहमद सुकून में दिखा. उसे जहां मौका मिला उसने हाथ हिला कर अभिवादन किया और बयान दिया ‘काहे का डर.’
वहीं दूसरी तरफ अपराध का अर्ध शतक पूरा कर चुका अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया, तो रास्ते में उसने अतीक अहमद का बचाव किया और कहा कि ‘माफियाओं को डर लगे, हमें डर नहीं.’ 28 मार्च को उमेश पाल के अपहरण कांड में ही अशरफ को कोर्ट ने निर्दोष करार दिया, लेकिन अशरफ रास्ते भर ‘खौफ’ में दिखा. अशरफ ने बयान भी दिया कि ‘जेल में मेरी हत्या हो सकती है पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने मुझे धमकाया है.’
अतीक और अशरफ नहीं रहना चाहते यूपी की जेलों में?
ऐसी चर्चा है कि ‘निर्दोष होकर भी अशरफ खौफ में है और दोषी होकर भी अतीक अहमद बेखौफ’ इसके पीछे उत्तर प्रदेश मे हालिया में हुई दो घटनाएं महत्वपूर्ण हैं. साल 2018 में बागपत जेल में मुख्तार अंसारी गैंग के शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की जेल के अंदर हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप गैंगस्टर सुनील राठी पर लगा तो, वहीं दूसरी तरफ 2022 में चित्रकूट जेल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खौफ का पर्याय रहे मुकीम काला के साथ मेराज और अंशु दीक्षित की गैंगवार में हत्या हो गई. कहा जा रहा है कि अतीक और अशरफ को इन्हीं दो घटनाओं की वजह से यूपी की जेल में डर लग रहा है. हालांकि इन दोनों घटनाओं में जेल में बंद दूसरे अपराधियों पर ही हत्या का आरोप लगा, लेकिन चर्चा रही कि बागपत जेल और चित्रकूट जेल में हुई हत्या यूपी पुलिस का सीक्रेट ऑपरेशन था.
वहीं दूसरी तरफ बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे की उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद कानपुर में गाड़ी पलटना, विकास दुबे का भागना और एनकाउंटर में मारा जाना यह घटना भी अशरफ के खौफ का एक बड़ा कारण है. यही वजह है अतीक अहमद यूपी की जेल में नहीं रहना चाहता और वह उमेश पाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा पाने के बाद भी सुकून में है. लेकिन बरेली जेल में बंद अशरफ अपहरण कांड में निर्दोष होकर भी खौफजदा है. उसे लगता है कि ‘जेल के अंदर या फिर पेशी के दौरान उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है.
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